Tere kalam ki khushbu hawaon mein ghul si jaati hai,
Har baat tere alfaazon se roshni paati hai.
Dil ke jazbaat ko tu kaagaz pe yun saja deta hai,
Ki zakhm bhi teri tahreer se marham paati hai।
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इनमें नफरत के बाद भी प्यार के सफर होते हैं।
जिंदगी आईने सी है, साफ और सच्ची,
जो देखेगा, उसे उसकी ही झलक मिलेगी।
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खो गए वो सब अपने, वक़्त के साथ जाने कहाँ,
अब यादों की परछाइयाँ ही हैं, जो देती हैं उनका पता।-
ज़िंदगी का फलक
ज़िंदगी एक पन्ना, हर रोज़ लिखी जाती है,
खुशियों के रंग, दर्द की स्याही से सजती है।
कभी हंसी की लौ, कभी आंसुओं का जलता दीप,
हर लम्हा अपने संग लाता है एक अनोखा गीत।
सुबह की ओस ने कहा, "हर दिन नया है,"
शाम के साए बोले, "सपनों का जहां है।"
दिल में उम्मीदों का दिया जलाए रखना,
हार हो या जीत, खुद को आजमाए रखना।
ये सफर आसान नहीं, मंज़िलें भी पास नहीं,
फिर भी दिल में धड़कन है, सांसों में आस सही।
राहों के कांटे कभी रोक नहीं सकते,
जो चलना जानता है, वो कभी झुक नहीं सकते।
अपने हिस्से की रोशनी खुद बिखेरो,
अंधेरों को चुनौती दो, खुद को निखारो।
ज़िंदगी का फलक तुम्हारा है, इसे संवारो,
हर पन्ने को अपने ख्वाबों से फिर निखारो।-
ख्वाबों की मिट्टी
ख्वाबों की मिट्टी को हाथों में लिया,
अरमानों का एक नया जहां बना लिया।
कभी टूटी उम्मीदों के कांच को जोड़ा,
कभी बिखरी हुई हसरतों को मोड़ा।
सूरज से सीखा जलने का हुनर,
चांदनी से चुराई कुछ ठंडी नजर।
हर गिरते सितारे से मांगी एक दुआ,
कभी झुककर खुद को, कभी ऊपर उठा।
ये रास्ते भी मेरे हैं, ये मंज़िल भी मेरी,
हर दर्द है सच्चा, हर खुशी है खरी।
खुदा से नहीं, खुद से मांगा सहारा,
अपना आसमां खुद अपने दम से संवारा।
चलते रहेंगे जब तक सांसों का साथ है,
मिट्टी से बने हैं, और मिट्टी में ही बात है।
ख्वाबों की मिट्टी से जो इमारत बनी,
उसके हर कोने में बस एक बात लिखी -
"हिम्मत से बड़ा कोई ख़ज़ाना नहीं,
और मेहनत से बड़ा कोई तराना नहीं।
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सफर की तलाश
चलते रहे कदम हर गली, हर मोड़,
आंखों में बस एक सपना, एक छोटा-सा जोश।
रास्ते अनजाने, मंज़िलें दूर सही,
दिल ने कहा, "चल, थोड़ा और सही।"
हवा ने गुनगुनाया, रात ने सुनाया गीत,
तारों के साये में ढूंढा दिल का मीत।
कभी खुशी की बारिश, कभी दर्द की बूंद,
हर लम्हा कह गया, "जिंदगी का है यही मूल।"
खुद से की बातें, खुद को समझाया,
हर ठोकर ने नए सपनों का रास्ता दिखाया।
सफर है लंबा, राहें पेचीदा सही,
दिल ने कहा, "चल, थोड़ा और सही।"-
चुप रहकर भी इज़हार कर दिया
तेरी आँखों से मोहब्बत का इकरार कर दिया-