गम तो इतना तेरे जाने का भी नहीं हुआ मुझ पर,
जितना कि तेरे झूठे इल्जाम का।
जी तो मैं पहले भी रही थी पर,
अब तो मैं जीते जी ही मर रही हूं।
पहले तो सिर्फ सुना करती थी कि,
इंसान प्यार में किसी भी हद तक जा सकता है
आज तो अपने पर बितते हुए देख भी रही हूं।।
Isha Tiwari
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उफ़! ये बारिश जब भी आती,
मुझे तेरी याद है लाती।
इसके हर एक बूंद में,
तुझे ही हूँ मैं पाती।।
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मेरे ईश्वर मुझ पर इतना मेहरबान है कि,
जो मेरे काबिल नहीं उसे मुझसे दूर कर देते हैं।।-
गुनाह तो बस एक ही किया है इस दिल ने,
बिन सोचे समझे तुझसे इश्क कर बैठी।
हसरत तो एक चॉकलेट भी देने कि नहीं थी मेरी,
पर देख तुझे तो दिल ही दे बैठी।।
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क्यों अनजान पड़ा है ये दिल,
तेरी दिए हुए जख्मों से।
क्या अभी और भी,
ठोकरें खानी बाकी है तुझसे।।-
मरीज़-ए-इश्क हूं मैं,
क्या तुम मरहम बनने को तैयार हो।
इस राह-ए-दिल के,
क्या तुम मेरे जान ए-जाँ बनने को तैयार हो।।-
वह कहते हैं जब मोहब्बत में इतना दर्द है,
तो तुमने किया ही क्यों।
हमने भी हंसकर जवाब दिया कि जब किस्मत में दर्द ही ना होता,
तो यह मोहब्बत होता ही क्यों।।-
बड़ी ही तेज चल रही है ये धड़कन,
सीने से लगाकर इसे शांत कराओ ना।
बड़ा ही बेचैन है ये दिल,
आकर इसकी तड़प दूर कर जाओ ना।-
दिल तो आज भी ये मानने को तैयार नहीं कि,
ये रह लेगा तेरे बिना।
दिल बड़ा नादान है,
नहीं हो पाएगा इसका जीना।
ये दिल तो इतना साफ है कि,
माफ भी कर देगा तुझे।
पर ये दिल जख्मी भी उतना ही है कि,
भुल न पाएगा दिया हुआ दर्द तुझसे।।-
बहुत रो चुके हम,
तेरी बेवफाई पर।
अब कुछ सवाल रह गए इस दिल में..कि,
क्यों मोहब्बत के ही रिश्ते में दर्द मिलता है।
जिस पर किया इतना भरोसा,
क्यों पल भर में वो टूट जाता है।
आखिर...ये रिश्ता है कैसा,
जो एक ही क्षण में ही सब बिखरा देता है।।
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