Isha Saxena   (Jiya)
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Joined 19 March 2018


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Joined 19 March 2018
2 DEC 2023 AT 0:36

गहराती रात के साथ गुज़र गया वजूद मेरा
अब मैं वो नहीं जो उसका इंतजार करती थी।
मत बोल कुछ कि कहने को रखा क्या है?
अब झूठ सच का बचा मतलब क्या है?
कह देना ख़ामोश रहे जब मिले अबकी बार
मर गई वो जो उसका ऐतबार किया करती थी।

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4 SEP 2023 AT 11:59

जिन बाहों में सुकून बसा करता था कल तक
डराती है आज उन्हीं बाहों की मजबूत पकड़।

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23 AUG 2023 AT 0:44

चंद यादों के सिवा,
उन अल्फाजों के सिवा,
जो करवट बदल बदल कर कटीं
जागी जागी सी रातों के सिवा।

सच बीती बातों में क्या रखा है
जो कराए थे किसी अपने ने महसूस
उन खट्टे मीठे एहसासों के सिवा।

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23 AUG 2023 AT 0:35


सोचते रहते हैं अक्सर
कि हम नहीं सोचेंगे,
अब अंजाम खुदा ही जाने
तेरी मेरी नादानी का।

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2 MAR 2023 AT 22:21

अब मुस्कुराहटें भी मेरा साथ छोड़ने लगी हैं
कहती हैं थक गई हैं बिन वजह के लब सजाने में।

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20 FEB 2023 AT 18:05

उतना मुश्किल नहीं बेजुबानों का कुछ भी कह पाना,
जितना मुश्किल है कान वालों का लफ्ज़ सुन पाना,
ख़ाक ख़ामोशी समझेंगे वो जो अल्फाज़ नहीं समझे,
नामुमकिन है दिमाग वालों को दिल पढ़ा पाना।

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10 OCT 2022 AT 9:40

कुछ इस तरह गुम हुआ मेरा वजूद बदलते दौर में,
जैसे हो सूरज की रौशनी में टिमटिमाता तारा कोई।

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10 JUL 2022 AT 18:40

मुझे ज़रा और जीना था
मारना हसरत जरा की थी।
अन्त न हो सका कभी
ख्वाइशों के टकराव का,
न हारा वो मुझसे कभी
न जीतने की कोशिश जरा भी की।
नतीजन न मौत आई मुझे
न मैं जिंदा रहकर के जी सकी।

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18 SEP 2020 AT 10:02

दिन और रात नहीं दिखते।
चाहे जितने भी तीखे हों
कुछ अल्फ़ाज़ नहीं चुभते।
चोट खुद की हो गहरी भले
मगर तकलीफ़ नहीं दिखती।
और उनको आए खरोच तो
'जिया' हम सह नहीं सकते।

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18 SEP 2020 AT 9:24

Money is something which can destroy Relationship even with your most loved one.

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