Isha Saini   (Saini✍)
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Hello everyone 👋🏻❤️
Joined 25 September 2019


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Joined 25 September 2019
14 AUG AT 2:23

खो दोगे एक दिन तुम हमको अंजाने में...
अभी तो हम दिखते है,
फिर एहसास दिखेगा तुमको
मेरे होने और मेरे जाने में |

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6 AUG AT 3:26

था जो ज़ख्म पुराना..
वो आज फिर उभर रहा है,
रोना नहीं है मुझे..
फिर भी रोना पड़ रहा है,
ये कैसा हालातों से मुझे हारना पड़ रहा है..
जिसका मोहरा भी और बादशाह भी
मुझे ही बनना पड़ रहा है..
ज़िन्दगी का कैसा ये खेल है जिसमें
हार भी मेरी और जीतना भी मुझे ही पड़ रहा है..✍️

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6 AUG AT 2:40

मिटती नहीं याद मोहब्बत की कभी दिल से
खलती है दूरी और खलती है लकीरें,
अपनी ही हथेली की,
रह जाती है कमी हमेशा खुशियों में,
एक उसकी ही मौज़ूदगी की...
उठता फिर एक सवाल, के क्यों खुदा
मोहब्बत है तूने ऐसी बनाई
जहाँ इंतज़ार तो रहता हमेशा कायम
लेकिन एक उसी की दस्तक
हमें देती तक ना सुनाई ..

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6 AUG AT 2:11

अगर मिलो दोबारा तो मेरे होके आना,
तुम्हारा मिलना कोई इत्तेफाक नहीं...
हम मिलेंगे वही जहां हम टकराए पहली बार थे
मेरा कहना मानो जाना,
तुम अब मेरे हो कोई अनजान नहीं...✍️

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26 JUL AT 21:20

मेरी जान तेरे सजदे...❤️
तू ऐसे आए फिर कभी ना जाए, रहू मैं पास तेरे
खुदा दुआएँ मेरी कबूल करे..
तू मुस्कुराता रहें, मैं तुझे देखती रहू,
तू बैठना कभी साथ मेरे...

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26 JUL AT 20:58

नहीं चाहता अब..
ये मन सब से मिलना,
ये अब मांगता एकांत है, सबकी फ़िक्र मे रहने वाला
ये दिल अब बस शांत है, रोना चाहता ये बहुत
लेकिन रोने से डरता है, कि पूछ ली किसी ने वजह
तो क्या बताएँगे..
क्योंकि दिल चाहता तो सब है लेकिन,
अब बताना नहीं चाहता है.. कब तक घबराएगा,
ये मन ऐसे.. एक दीन शांत हो जाएगा पडी राख जैसे..🥀

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17 MAY 2024 AT 8:18

सोचा ना था खामोश रहें जाएंगे
ये लफ्ज़ कभी, वरना ये शख्स
महेफिलो का शोर हुआ करता था ।

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9 AUG 2021 AT 19:26

तेरा लहज़ा कुछ चाँद सा है..
तू मुझसे उतना ही दूर है,
जितना तारों के हैं करीब |





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30 MAR 2021 AT 13:48

दिन तेरे सवालों में रात तेरे ख्यालों में
गुज़र जाती है
आँखें अब सोती नहीं तेरी यादों के साय में
जागी रहती है
एक रोज़ चहरा तेरा तस्वीर से ये सवारती रहती
यादें जो सता जाती कभी ज़्यादा
लगा दिल से फिर तुझे, अश्कों को अपने
पी जाती है
हसती है मुस्कुराती है और फिर एक बार
अपने हालातों पर ठहर जाती है
और भुलाने की कोशिश में ये तुमको
हर बार दोहरा जाती है
यादों में तेरी क्यों बंजारों सी खोई ये रहती है

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23 MAR 2021 AT 0:23

शोक ही ऐसे ना पालो,
जो नाम बनाने से पहले
उम्र छीन जाए |





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