बहुत दिनों बाद मां आज फिर तू बड़ा याद आई है,
आंखों की छूपी नमी को तू फिर बाहर निकाल लाई हैं।
थोड़ी सी जो यह धूप खिली है बाहर अपने साथ वह थोड़ी
बदली भी लाई है,
मां आज फिर तेरी आवाज़ सुनने को दिल से एक आस आई है।
क्या लिखूं तेरे लिए मैं तू तो सब जानती है,
जब भी हंसी में, जब भी रोना आया, मां तेरे ही तो साया था,
जिसने हर पल साथ निभाया।
बीत गए हैं साल, कई महीने तेरे बिना, बड़ी हुईं हु मैं भी,
लेकिन तेरी गोद बहुत याद आती हैं मां।
जब छोटी थी मैं तू थी मेरी जादू की बागिया,
जाने कहां से सिमट लाती थी तू अपने आंचल में इतनी सारी खुशियां।
जीवन के इस कठिन दौर में, तू मेरी वह अमराई हैं,
जो इस धूप में भी मुझे ठंडी छांव देने आई है।
तू पास नहीं आज मेरे तो क्या,तू दो मेरे हर कण में समाई है,
मां तू आज बड़ा याद आई है,
मां तू आज बड़ा याद आई है।
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