Isha Mishra   (Isha)
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A teacher by the day and a writer... Well that's a 24×7 scene !
Joined 30 November 2016


A teacher by the day and a writer... Well that's a 24×7 scene !
Joined 30 November 2016
2 JAN 2022 AT 23:32

किस्से हमारे पास भी बहुत हैं सुनाने को बताने को,
बस समय का अभाव हैं ।

मिलते थे जो मुस्कुरा कर रोज़ाना हमसे आज नजर फेरते हैं,
क्या कहें उन्हे हम यह तो उनकी सोच पर एक अभिशाप है।।

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2 JAN 2022 AT 23:24

"There will be a time or a day when you'll wake up from all the pain that's inside you. Growing strong out of the wrong doings of all the years, the weight of the past week, months or even years. You cannot decide when that moment will come but trust me it will and that's all that matters. Just have faith."

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1 JAN 2022 AT 17:39

एक और साल तो बीत गया..
बस याद की एक खिड़की खुली छोड़ कर...

बुरा वक्त भी देखा सबने अच्छे पलों के साथ...
कितना कुछ बदल गया, बदलते मौसम के साथ...

तय किए हमनें भी बहुत से काम निपटाने को..
वक्त ने यह सिख भी दी के तय किया जिंदगी में अक्सर पूरा नहीं होता....

इस बीते हुए समय में घूम हुईं बहुत सी बातें..
उन सारी बातें के बीच सुकून भी कहीं खो गया..

इस नए वक्त से यही एक तमन्ना है..
वक्त चाहें जैसा भी बीते.. दिल में बचपने को जिंदा रहने देना...।।

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29 DEC 2021 AT 19:35

लोगों ने अक्सर यह कहा है की...
एक अकेला इंसान क्या कर सकता है..
अरे नादानो.. सूरज को कभी ध्यान से देखो...
वह रोज़ तप कर अकेला ही चमकता है...

भूल है लोगों की वह सोच..
जो दूसरों को कमज़ोर समझती हैं..
वरना जंगल की आग को ही देख लो...
एक छोटी सी चिंगारी को हवा क्या लगी..
वह तो तबाही का रूप इस जंगल को दिखा देती है...

आज चुप हूं तो यह न समझना मुझमें ज्ञान की कमी हैं...
अफ़सोस तो तेरी नाकाबिली पर है...
कह गए है कई ख्याति पाए लोग..
पेड़ वही झुकता है जिसपे फल लगे हो..।।


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27 DEC 2021 AT 20:28

मुसाफ़िर मैं अकेला,
दुनिया की बस्ती में निकला करता हूं..
लोगों के मुखौटे वाले चेहरे, रोज़ अनदेखा किए चलता हूं..
इंसानों की खासियत भी गज़ब है..
इंसान सभी एक, बस नियत सबकी अलग है..

गलत क्या सही क्या, ये हम क्या बताएंगे..
अपनी ज़बान से ही इंसान सब बयां किया करते हैं...
दूसरो से भय करने वाले, जो नीचा दिखाने की कोशिश में रहते हैं..
इतनी सी समझ तू भी रख ले.. सही गलत का हिसाब ऊपर वाला अपनी किताब में लिखा करता हैं...।

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4 DEC 2021 AT 13:21

आघात करने वालों की कमी नहीं है दोस्तों...
चेहरा पहचानने में भूल न करना...
लिबास भले ही पहने हों लोगों ने सफेद...
नियत उनकी समझने में चूक न करना....
बैठे है कई ऐसे चेहरे हमारे बीच...
उनसे सच्चाई का साथ देने की उम्मीद न करना...
इस बेकार के माहौल में रहने वालों के बीच...
तुम अपने लिए सही विचारों की उम्मीद न करना...
जीवन तुम्हें जीना है, अपने विचारों और प्रधानों का साथ न छोड़ना...
बोलने वाले बहुत मिलेंगे अपने आपको, उनके सामने छोटा समझे की भूल न करना...
तकलीफों की कमी नहीं है मेरे प्यारों...
उनमें एक और जोड़ने की कोशिश न करना....

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3 DEC 2021 AT 19:22

रास्ते बन जाते है,
तुम कदम बढ़ा कर तो देखो...
सपने पुरे भी हो जाते है,
तुम उन्हे अपनी आंखों में सजा के तो देखो...
कमज़ोर साबित करने को तो न जाने कितने काफिले मिलते है,
बिना डरे जरा उनके सामने मुस्कुरा कर तो देखो...
रास्ते जो न भी मिले,
हिम्मत के सहारे जरा अनजान रास्तों में कदमों को बढ़ा कर तो देखो...

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2 DEC 2021 AT 13:24

समय की चाल देखिए...
लोगों का हाल देखिए....
बोलना जानने वाले आज चुप खड़े है,
नौसिखिए आज तरक्की किए हुए हैं।
समय की चाल देखिए....
लोगों का हाल देखिए....
पहले गलतियां अनजाने में हुआ करती थी,
आज जान बूझ कर भी किया करते है।
लोगों को जान कर हैरत होगी...
आज कल तो लोग अपनों को भी छला करते है।
समय की चाल देखिए...
लोगों का हाल देखिए...

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21 JAN 2021 AT 11:23

ए ज़िन्दगी, मेहरबानी की कश्ती में जरा हमे भी सहारा दे,
थक गए हैं दूसरों के लिए ज़िन्दगी जीते हुए।

जरा खुशी और बेखौफ मुस्कुराहट हमें भी मिले,
अब हौसला नहीं हैं खुशी की झुठी चादर में अपना ग़म छुपाने कि...।

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10 MAY 2020 AT 10:27

बहुत दिनों बाद मां आज फिर तू बड़ा याद आई है,
आंखों की छूपी नमी को तू फिर बाहर निकाल लाई हैं।
थोड़ी सी जो यह धूप खिली है बाहर अपने साथ वह थोड़ी
बदली भी लाई है,
मां आज फिर तेरी आवाज़ सुनने को दिल से एक आस आई है।
क्या लिखूं तेरे लिए मैं तू तो सब जानती है,
जब भी हंसी में, जब भी रोना आया, मां तेरे ही तो साया था,
जिसने हर पल साथ निभाया।
बीत गए हैं साल, कई महीने तेरे बिना, बड़ी हुईं हु मैं भी,
लेकिन तेरी गोद बहुत याद आती हैं मां।
जब छोटी थी मैं तू थी मेरी जादू की बागिया,
जाने कहां से सिमट लाती थी तू अपने आंचल में इतनी सारी खुशियां।
जीवन के इस कठिन दौर में, तू मेरी वह अमराई हैं,
जो इस धूप में भी मुझे ठंडी छांव देने आई है।
तू पास नहीं आज मेरे तो क्या,तू दो मेरे हर कण में समाई है,
मां तू आज बड़ा याद आई है,
मां तू आज बड़ा याद आई है।

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