"इरशाद" लफ़्ज-ए-तसल्ली तो फक़त एक तकल्लुफ़ है,जिसका दर्द उसका दर्द बाकी सब अफसाने हैं...इर्श -
"इरशाद" लफ़्ज-ए-तसल्ली तो फक़त एक तकल्लुफ़ है,जिसका दर्द उसका दर्द बाकी सब अफसाने हैं...इर्श
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हर एक दर्द की शिद्दत छिपाई गई,"इरशाद" ईद तो आख़िर ईद है हर हाल में मनाई गई...इर्श -
हर एक दर्द की शिद्दत छिपाई गई,"इरशाद" ईद तो आख़िर ईद है हर हाल में मनाई गई...इर्श
इश्क़ है तो जाहिर कर, बनाकर चाय हाजिर कर,अदरक डाल या डाल इलाईची, कूटकर मोहब्बत भी शामिल कर...इर्श -
इश्क़ है तो जाहिर कर, बनाकर चाय हाजिर कर,अदरक डाल या डाल इलाईची, कूटकर मोहब्बत भी शामिल कर...इर्श
सबको खबर थी मेरे कच्चे मकान की, "इरशाद" फिर भी लोगों ने दुआ़ में बरसात मांगी...इर्श -
सबको खबर थी मेरे कच्चे मकान की, "इरशाद" फिर भी लोगों ने दुआ़ में बरसात मांगी...इर्श
जो June की गर्मी को January की ठण्ड में बदल दे,बेशक़ वही ख़ुदा है...इर्श -
जो June की गर्मी को January की ठण्ड में बदल दे,बेशक़ वही ख़ुदा है...इर्श
"इरशाद" उसने पूछा भी लेकिन मैंने कहा कुछ नहीं,दिल से उतरे हुए लोगों से शिकायत कैसी...इर्श -
"इरशाद" उसने पूछा भी लेकिन मैंने कहा कुछ नहीं,दिल से उतरे हुए लोगों से शिकायत कैसी...इर्श
ये बून्द-बून्द सी बारिश किसी की यादों की,मेरा सब्र का कच्चा मकान गिराएंगी...इर्श -
ये बून्द-बून्द सी बारिश किसी की यादों की,मेरा सब्र का कच्चा मकान गिराएंगी...इर्श
किसी से गुण मिले या ना मिले राय मिलनी चाहिए,पूरे दिन की थकान के बाद, एक कप चाय मिलनी चाहिए...इर्श -
किसी से गुण मिले या ना मिले राय मिलनी चाहिए,पूरे दिन की थकान के बाद, एक कप चाय मिलनी चाहिए...इर्श
दुआ़-ए-सफर पढ़ी और फूंक दी उस पर,"इरशाद" उसे लगा था मैं पैर पकड़ कर रोकूंगा...इर्श -
दुआ़-ए-सफर पढ़ी और फूंक दी उस पर,"इरशाद" उसे लगा था मैं पैर पकड़ कर रोकूंगा...इर्श
दिल में रहना सीखो "इरशाद"गुरूर में तो हर कोई रहता है...इर्श -
दिल में रहना सीखो "इरशाद"गुरूर में तो हर कोई रहता है...इर्श