मेरे मालिक बता मुझको , दुआयें बेअसर क्यूँ हैं,
मैं रोता हूँ,सिसकता हूँ ,ये दुनिया बेख़बर क्यूँ है ,
फना हो जायगी दुनिया, क़यामत आयेगी एक दिन,
ये माल-ओ-ज़र का क्या करना, सब इतने बेसबर क्यूँ हैं,
मेरा जब दम निकल जाए,इसी मिट्टी मे दफनाना ,
खुदा से जाके पूछूँगा ,मेरी लंबी उमर क्यूँ है.
मुझे तुम माफ़ ना करना, अगर कोई ख़ता की हो,
जो चाहो वो सज़ा दे दो, इनायत की नज़र क्यूँ है,
अगर रहते यहां हैं पारसा, और नेक दिल बन्दे,
ख़ुदा का क़हर बरपा है ,ये मुर्दा सा शहर क्यूँ हैII
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किताबें जिनसे मांगी थी, उन्हें लौटा नहीं पाता ... read more
मोहब्बत का होगा असर धीरे धीरे,
ये फैलेगा मुझमे ज़हर धीरे धीरे,
सफ़र में कहीं तुम बिछड़ना ना मुझसे ,
चलो चलते हैं हमसफर धीरे धीरे,
मैं भूला नहीं, खिड़कियों का नज़ारा ,
मिलाना वहां से नज़र धीरे धीरे,
तेरे ग़म मे, मैं अपना ग़म भूल जाता,
ना बनते अगर बेवफा धीरे धीरे,
तुम आँखों मे रखना चरागों को अपने,
ये सूरज ढलेगा कहीं धीरे धीरे II-
हम भी देखते हैं,
हमारे बाद कितनों के और दिल तोड़ोगी,
कितने होंगे फ़ना, तुम्हारी क़ातिल मुस्कान पे,
और कितने होंगे जो तुम्हारी मुहब्बत से मरेंगे...
कितने और...
हम भी देखते हैं......-
मैं शतरंज को भी दिल से खेलता हूँ, और हाँ,
सुनो! तुम्हारा दिल जीतने के लिए अगर
शतरंज की 100 बाजियां हारना पड़े,
तो मुझे ये हार क़ुबूल है...-
चलो! दरिया किनारे पर , वहीँ मिलने का वादा है ,
ये पनघट तो बहाना है , मुहब्बत का इरादा है I
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चाहूँगा तुम्हें इतना कि, रोक ना पाओगे खुद को,
आँख खोलोगे जब ,मेरी बाहों में पाओगे खुद कोI
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अगर मुमकिन नहीं होता, तो सूरज चांद ना होते,
अगर तुम चांद ना होते तो, क़त्ल-ए-आम ना होते I
तुम्हारी याद मे कैसे गुजारे रात दिन हमने,
तुम्हारी याद ना आती तो, लब पे जाम ना होते II
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किताबों के पन्ने अगर खोल दूँ तो,
हर एक वर्क पर उसका चेहरा दिखेगा,
छुपाये हैं मैंने बड़े राज़ इसमे,
अगर ढूंढोगे नाम उसका दिखेगा II
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