Irshad Ahmad  
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Joined 8 June 2020


Joined 8 June 2020
26 FEB 2022 AT 19:22

इतनी छोटी सी ज़िन्दगी के इस जीवन चक्र में,
कोई मिला तो कोई बिछड़ गया।

हाँ...,
जो पास है वो कभी महसूस ही नहीं किया,
और जो बिछड़ गया वो एहसासों में ढ़ूँढ़ रहा।।

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19 JAN 2022 AT 17:23

ये धूप छाँव का खेल तो सिर्फ़,
आसमां वाले ही खेलते हैं ।

हम ज़मीं पे गिरे लोग तो बस,
उठने की कोशिश करते हैं।।

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17 JAN 2022 AT 13:56

हाथ खाली है तो क्या हुआ,
आँखें भरी-भरी सी तो है।
आँसुं बह रहा है,
बस इतनी सी बात,
तो बह जाने दे,
दिल खाली तो है।

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12 JAN 2022 AT 22:59

हम युवा हैं साहब,
मुश्किलों की पहाड़ से मोहब्बत कर लेते हैं।

और जब तक अहसास होता है,
हम खोद-खोद कर इतना अंदर जा चुके होते हैं।

जहाँ से लौटना भी मुश्किल और आगे जाना भी।

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11 JAN 2022 AT 23:14

कुछ भी तब अच्छा नहीं लगता,

जब हम कोई प्रेशर में होते हैं।


ख़ुशियों से भरा आंगन तो जगमगाता है,

पर जहाँ खुशियाँ ही ना हो,

वो जगमगाता आँगन भी उदास लगता है।।

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9 JAN 2022 AT 23:55

ऐसा कैसे हो गया सच में तुम मान गए ना,
अच्छा डर है...,
अरे इसे बताओ यार डर के बिना भी कोई ज़िन्दगी है।

अब इसे कौन समझाए कि डर और ज़िन्दगी,
मिलके ही तो मौत का प्लानिंग करता है।

और फ़िर हम एक रोज दुनियाँ के लिए,
और दुनियाँ मेरे लिए सुन्य हो जाता है।।

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9 JAN 2022 AT 15:48

ज़िन्दगी पास ही रहती है,
शायद इसीलिए हम बहते आँसू पोछ पाते हैं।

यक़ीन मानो जब वो दूर हो गया ना हमसे,
तो अपने हक़ की ख़ुशी भी नहीं देख पाएंगे।।

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9 JAN 2022 AT 15:35

अपनी दुनियाँ तलाश करनी है,
तो आप इंतेजार मत करो,

ख़ुद के पैरों से ख़ुद ही बेरिया तोड़ो,
और आज़ाद हो जाओ।।

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9 JAN 2022 AT 15:35

अपनी दुनियाँ तलाश करनी है,
तो आप इंतेजार मत करो,

ख़ुद के पैरों से ख़ुद ही बेरिया तोड़ो,
और आज़ाद हो जाओ।।

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8 JAN 2022 AT 18:42

तुम अक्सर कहा करते थे,
भरोशा करना सीखो।

वर्षों बाद भरोशा हुआ ही था,
और तुम गला ही घोंट गए।

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