इतनी छोटी सी ज़िन्दगी के इस जीवन चक्र में,
कोई मिला तो कोई बिछड़ गया।
हाँ...,
जो पास है वो कभी महसूस ही नहीं किया,
और जो बिछड़ गया वो एहसासों में ढ़ूँढ़ रहा।।-
ये धूप छाँव का खेल तो सिर्फ़,
आसमां वाले ही खेलते हैं ।
हम ज़मीं पे गिरे लोग तो बस,
उठने की कोशिश करते हैं।।-
हाथ खाली है तो क्या हुआ,
आँखें भरी-भरी सी तो है।
आँसुं बह रहा है,
बस इतनी सी बात,
तो बह जाने दे,
दिल खाली तो है।-
हम युवा हैं साहब,
मुश्किलों की पहाड़ से मोहब्बत कर लेते हैं।
और जब तक अहसास होता है,
हम खोद-खोद कर इतना अंदर जा चुके होते हैं।
जहाँ से लौटना भी मुश्किल और आगे जाना भी।-
कुछ भी तब अच्छा नहीं लगता,
जब हम कोई प्रेशर में होते हैं।
ख़ुशियों से भरा आंगन तो जगमगाता है,
पर जहाँ खुशियाँ ही ना हो,
वो जगमगाता आँगन भी उदास लगता है।।-
ऐसा कैसे हो गया सच में तुम मान गए ना,
अच्छा डर है...,
अरे इसे बताओ यार डर के बिना भी कोई ज़िन्दगी है।
अब इसे कौन समझाए कि डर और ज़िन्दगी,
मिलके ही तो मौत का प्लानिंग करता है।
और फ़िर हम एक रोज दुनियाँ के लिए,
और दुनियाँ मेरे लिए सुन्य हो जाता है।।-
ज़िन्दगी पास ही रहती है,
शायद इसीलिए हम बहते आँसू पोछ पाते हैं।
यक़ीन मानो जब वो दूर हो गया ना हमसे,
तो अपने हक़ की ख़ुशी भी नहीं देख पाएंगे।।-
अपनी दुनियाँ तलाश करनी है,
तो आप इंतेजार मत करो,
ख़ुद के पैरों से ख़ुद ही बेरिया तोड़ो,
और आज़ाद हो जाओ।।-
अपनी दुनियाँ तलाश करनी है,
तो आप इंतेजार मत करो,
ख़ुद के पैरों से ख़ुद ही बेरिया तोड़ो,
और आज़ाद हो जाओ।।-
तुम अक्सर कहा करते थे,
भरोशा करना सीखो।
वर्षों बाद भरोशा हुआ ही था,
और तुम गला ही घोंट गए।-