Irfan Shah   (Irfan✍)
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Joined 5 August 2017


Joined 5 August 2017
23 JAN 2022 AT 21:06

आख़िर हम वापस होते तो फिर भी किसके लिए
वहाँ मैली ज़िस्म के लिबास में कैद एक रूह थी।।

اخیر ہم واپس ہوتے تو فر بھی كسکے لیے
وہاں میلی جسم کے لباس میں کید اك روح تھی!!


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24 MAY 2020 AT 0:42

कितना छोटा हर्फ़ है ना 'साजिश'
ना जाने कितनो को खा गया है ये ।।

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16 MAY 2020 AT 13:39

जो रोज़ हमसफ़र होने के दावे किया करते थे,
शायद,अब उनकी आँखों में पानी की कमी है ।।

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14 MAY 2020 AT 13:25

काफी लोगों ने कहा आपसे फासले रखें,
दिल को समझाने का मग़र क्या मसअले रखें !!

खिलाफ हो गए हैं सारे जमाने मुझसे अब
आप ही बताओ कब तलक भला हौसले रखें !!

आप हैं जो समझतें ही नहीं मजबूरियाँ मेरी,
हम हैं जो तूफ़ांनो में भी बचाये घोंसले रखें !!

मेरे सारे रफ़ाक़तें भी मुझसे नज़रें चुराने लगें,
तेरी जुस्तुजू हैं सो क़ायम मेरे सारे फैसले रखें !!

थक गए है तमाम मेरे चाहने वाले फिर तो
पशेमां हो के अब अपनी जुबान में आबले रखें !!

ग़र फ़िराक-ए-इश्क हो आगोश कज़ा सो जाएंगे,
बस इसी बात पर हमनें चराग़ों के मरहलें रखें !!

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13 MAY 2020 AT 15:35

अपने कदम को तू ना रोक 'आदम'
अभी तो और लम्बें सफ़र को चलना है ।।

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11 MAY 2020 AT 14:22

वो दुनिया की नजरों से बचने को नक़ाब लगाती हैं,
आज फिर मैंने देखा उसे उसकी उसकी आंखों से!!

وہ دُنیا کی نظروں سے بچنے کو نقاب لگتی ہے،
آج فر میںنے دیکھا اسے اُسکی آنکھوں سے !!

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8 MAY 2020 AT 11:41

गिन-चुनकर सितारें ज़ेब में रख दूंगा,
बाकी सारे जो तेरे पाज़ेब में रख दूंगा !!
फिकीं पड़े चमक जो तेरे पैरहन में तो,
जेब से निकाल तेरे तंज़ेब में रख दूंगा !!

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7 MAY 2020 AT 23:53

इस रात से मरासिम है कई सदियों से मेरी,
मैंने कभी उस चाँद को अकेला नहीं छोड़ा !!

اِس رات سے مراسم ہیں کی صدیوں سے میری,
میںنے کبھی اُس چاندکو اکیلا نہی چھوڑا !!

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7 MAY 2020 AT 13:17



चलो शराब पियें,

नहीं चाहती सरकार इनकलाबी हो जायें,
अच्छा होगा फिर तो हम शराबी हो जायें,
बहुत मर लिया घरो में अब कहीं और जिये,
बेहतर होगा चलो ना अब शराब पिये,
रगों में लहू दौड़ने के नही क़ायल बने,
दिल को जवां दिमाग से घायल बने,
शर्बत नही यहाँ अब फल-ए-खराब पिये,
चलो न अब यहाँ हम शराब पिये,
युद्ध छोड़ो प्यार करो मस्ती में झूम लो
कलम छोड़ सब भूलकर बोतल चुम लो
कोई गिनती नहीं बेहिसाब पियें
चलो ना अब हम यहाँ शराब पियें,
चलो शराब पियें ।।

©--irfan




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3 MAY 2020 AT 14:05

ये कैसा आग है जो मुझे जला नहीं सकता,
ये कैसा मर्ज है किसी को बता नही सकता !!

एक तेरा नाम है जो हथेली पे लिख डाला
एक डर है जो किसी को दिखा नही सकता !!

कोई वादा भी करू फिर तो किसके दम पर,
फ़क़त साँसों का बोझ जिस्म उठा नहीं सकता !!

तेरा नाम तो मैं बेशक लिख दूं उस रेत पर,
कोई लहर हो तो बता जो मिटा नही सकता !!

मैं मुफ़लिस हूँ कल कहीं और निकल जाऊंगा,
ये भी तो एक सच है जो मैं छुपा नही सकता !!

-----✍️irfan




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