कभी तो पर्दा गिरा दिया है
कभी तो पर्दा उठा दिया है,
सो लुका छिपी की इस अदा ने
हमें दीवाना बना दिया है।
यहाँ भी मयकश, वहां भी मयकश,
तमाम जगहों पे मयकशी है,
शराबियों ने हर इक गली को
शराबखाना बना दिया है।-
वोट देते हुए इस बार ये मालूम न था
जीने देगी नहीं सरकार ये मालूम न था।
मैं जिसे धमकियां देकर के चला आया हूं
है वो गांव को ज़मींदार ये मालूम न था।
मुझसे हर बात पे दुनिया तो ख़फ़ा रहती है
तू भी हो जायेगा बेज़ार ये मालूम न था।
मैं उसे अपनी तरह तन्हा समझता था मगर
उसका भी होगा कोई यार ये मालूम न था।
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हिज़्र का दुःख भी मजेदार हुआ करता था
आपका चर्चा लगातार हुआ करता था।
इस बुढ़ापे ने बना डाला है माजूर मुझे
वरना क्या काम जो दुश्वार हुआ करता था।
अब वही मुझसे बग़ावत में उतर आया है
जो कभी मेरा तरफदार हुआ करता था।
इस सियासत ने यहां नफ़रतें बो दी वरना,
दरमियां सबके बहुत प्यार हुआ करता था।
याद है अब भी मुझे उसकी जवानी इरफां
हर कोई उसका तलबगार हुआ करता था।-
मुझको तवज्जो चाहिये पर्दा नशीन से
कुछ शेर पेश कर रहा हूं बेहतरीन से।
धोखे से इक कमीज़ झटक दी थी एक दिन
कुछ दोस्त गिर पड़े थे मेरी आस्तीन से।
इस वास्ते बदन में भी ताकत नहीं रही
हाथों का काम लेने लगे हैं मशीन से।-
पेश आते नहीं हो इज़्ज़त से,
बाज आ जाओ अपनी आदत से।
क्यों तुम्हे शाइरी पसन्द नहीं,
जी चुराते हो क्यों मोहब्बत से।
क्या कभी आदमी नहीं देखे,
देखते हो जो मुझको हैरत से।-
कब देखूंगा ख़ुद को सुख के दर्पण में
जीवन बीत रहा है दुःख के आंगन में।
तुमने जब से साथ हमारा छोड़ा है
व्याकुलता ही व्याकुलता है जीवन में।
अब के गर्मी देख के ऐसा लगता है
जैसे आग बरस जायेगी सावन में।
आड़े तेड़े सर के बाल और फ़टी कबा
दुनिया पागल हो जायेगी फैशन में।
ईश्क़ - मोहब्बत खेल नहीं है बच्चों का
जान चली जाती है साहब इस फ़न में।-
मुझसे मत पूछ उसकी चाल का रंग
उसका हर रंग है कमाल का रंग,,
नाम जब भी लिया मेरा उसने
गालों पर आ गया गुलाल का रंग।-
ज़ह्न में इल्म का खजाना है
ज़िन्दगी भर यही कमाया है।
सिर्फ पत्थर से क्यों शिकायत हो
हमने फूलों से ज़ख़्म खाया है।
ईश्क़ में बस यही हुनर सीखा
ज़ख़्म खाना है, मुस्कुराना है।
वो जो खुद को ख़ुदा समझता है
अब उसे आईना दिखाना है।-
दिल तो बेकार की बातों में लगा रहता है
खामखां यार की बातों में लगा रहता है।
खोल आंखें तो हक़ीकत भी दिखाई दे तुझे
तू भी अख़बार की बातों में लगा रहता है।-
तेरी महफ़िल की शान होते हैं,
जो बहुत ज्ञानवान होते हैं।
मैं तेरी ज़िन्दगी में ऐसे हूं,
जैसे बहरे के कान होते हैं।
यूं ही उपलब्धियां नहीं मिलती
होते होते महान होते हैं।-