सुनी ना हमारी एक तुमने,हज़ारो अपनी सुना गए तुम तुम्हे खबर ही नहीं है शायद,हमारे दिल को दुखा गए तुम। ये ज़हर जैसा कसीला लहजा,ये तीर जैसे नुकुले जुमले । तुम्हारी बातों से लग रहा है,किसी की बातों में आ गए तुम
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नहीं हमेंमैं कोई अनबन नहीं है
नहीं हमेंमैं कोई अनबन नहीं है
बस इतना है कि अब वह मन नहीं है
मैं अपने आप को सुलझा रहा हूं
मैं अपने आप को सुलझा रहा हूं
तुम्हें लेकर कोई उलझन नहीं है
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किसी को देखूं या ना देखूं
बस एक शख्स को देखना है
आ गया है वह सामने
हकीकत है या एक सपना है
लोग कब कैसे ईद मनाते हैं, वो लोग ही जाने
मैं जब चाहे ईद मना सकता हूं
क्योंकि चांद मेरा अपना है...
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हमने हर दुख को मोहब्बत की अजियत समझा
हमने हर दुख को मोहब्बत की अजियत समझा
हम कोई तुम थे जो तुमसे शिकायत करते
कि तुमसे मोहब्बत तो सियासत का चलन छोड़ दिया
हम अगर इश्क ना करते तो हुकूमत करते
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As we mark the start of Ramadan with fasting and prayers, may our lives get better and our paths to success get clearer
Ramadan Mubarak
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जो लोग मेहनत का साथ नहीं छोड़ते
किस्मत कभी उनका हाथ नहीं छोड़ती
बैठकर आंसू बहाने से बेहतर है
मेहनत करके अपना पसीना बहा ले...
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थोड़ा आहिस्ता चल ए-जिंदगी,
थोड़ा आहिस्ता चल ए-जिंदगी
अभी मेरे कुछ ख्वाब अधूरे हैं...
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अभी तो असली उड़ान बाकी है
परिंदे का इम्तिहान बाकी है
अभी तो बस लगा है समंदर
अभी तो पूरा आसमान बाकी है...
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अगर तलाश करोगे तो कोई तुम्हें मिल ही जाएगा
अगर तलाश करोगे तो कोई तुम्हें मिल ही जाएगा
मगर हमारी तरह कौन तुमको चाहेगा...
तुम्हें जरूर कोई चाहतों से देखेगा
तुम्हें जरूर कोई चाहतों से देखेगा
मगर वह आंखें हमारी कहां से लाएगा...
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