Ireena Philosophy   (ireena@ayyari)
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बस इतनी सी कोशिश है कि थोड़ा बहुत अच्छा लिखू.....
Joined 17 June 2018


बस इतनी सी कोशिश है कि थोड़ा बहुत अच्छा लिखू.....
Joined 17 June 2018
22 FEB 2022 AT 22:50

तुझको पाने की कोशिश में खुद को खो दिया
क्या होना चाहिए था
जाने क्या से क्या हो गया,
जिस पेड़ ने दी थी कितनो को छाया
आज वो जड़ो से काटा गया
उसकी बढ़ती शाखे
कितने राहगीर की थकावट मिटा देती
लेकिन वो हमेशा के लिए खो गया
नई कोपले,पतझड़ को कहा भाई थी

परिवर्तन शाश्वत सत्य है
लेकिन अवनति मृत्यु से कम नही होती
खासकर तब जब,सपनो के लिए षणयंत्र में
शामिल होता है भरोसा विश्वास आस

औऱ निष्कपट निश्छल के पल पल वेदना का,
साक्षी बनता है- तुम्हारा पतन,
जैसे जैसे खिलखलाती हँसी गायब होती है,
वैसे ही उस अभिशाप से बेरंग होता है तुम्हारा मन

और कुछ और नही ,अब भी जीने की राह बच जाती है
क्योकि सत्य को इंतजार होता है न्याय का
भले ही वो ,बनकर आये तुम्हारा अंत।

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3 FEB 2022 AT 23:37

सुनो
मेरी वेदना वही समझ सकता है
जिसने भेदा हो अपनो का चक्रव्यूह,
और वो एकलव्य भी
जिसकी जीवंत साधना को कुचला हो कइयों श्रधेय द्रोण ने,
इतना ही नहीं,
समझ सकते हैं राम,
जिसने त्यागी निश्चल सीता,
या फिर समझ सकती हैं वो अहिल्या,
जिसका समय उस पाप के लिए रोका गया
जिसमे वो पवित्र थी ही नहीं शामिल
और कितने उदाहरण बताऊ,
क्योकि ऐसी वेदना को,
नही समझ सकता वो समाज,
जहाँ शारदा की तपस्या का मोल हो
जहाँ श्रवण की सेवा का फल,वाण हो
कैसे समझ सकता है कोई और,
जब मैं ही हूँ असमंजस में
की जैसे किसी ने गंगा को ,
कर दिया हो साबित"अपवित्र" औऱ ,
मैं मूक रही स्तब्ध..

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9 JAN 2022 AT 21:55

तलाश:-

वक़्त जब साथ न दे
मुक्कदर जब मुँह मोड़ पर ले
आते हैं कभी कभी ऐसे लम्हे भी
साया भी जब साथ छोड़ दें

जब कभी जीना से मरना बेहतर लगे
जब मुर्दो में जान डालने वाला मुर्दा लगे
जब गरूड़ के पंख काट दिए जाएं
फिर कैसे वो नभ में सबसे ऊंचा उड़े

जब कुरुक्षेत्र में अर्जुन द्वंद में फसे
जब भीष्म पर अपनो के बाण चले
जब द्रौपती की लाज पर सभा हँसे
जब मीरा प्रेम के जहर का प्याला पिये

जब अहिल्या को बिन पापो का अभिशाप मिले
जब अभिमन्यु के लिए पग पग चक्रव्यूह कोई रचे
जब निर्दोष पर जख्मों के वाण चले
फिर कैसे राम की गंगा मैली होने से बचे?

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9 JAN 2022 AT 12:02

झूठ अभिमान
स्वांग ज्यादा देर नही टिकते..
सावित्री जैसे आस्था, विश्वास, यकीन से
हारा है ,यमराज भी....
मृत्यु को भी जीती हैं,
तप में लीन सती;

कलंकित हुई अयोध्या भी-
निष्कलंक सीता के संताप से,
बच कहा पाए कौरव?
छल कपट के विनाश से,

हे मानुष तुम अद्वितीय मात्र एक
कर्म पथ पर, पाओगे विजय अवश्य,
इस ब्रम्हांड की शक्ति के वरदान से।

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6 JAN 2022 AT 0:16

नताशा नरवाल:-
समाचार में पढ़ा और आगे बढ़ गई
जब पिजड़ा तोड़ वाली वो लड़की खबरों में आई
सुना था औरतो के लिए लड़ती है
पर इस बार कैदी बनी है
सोचा,अदालत बता ही देगी, उसकी खता

फिर एक दिन एक बुजुर्ग वैज्ञानिक का इंटरव्यू देखा
काँपते हाथो और कोरोना में जकड़ा
उसे अपनी परवरिश पर फक्र था
आज़ाद रविश में बच्ची को था पाला
वो कोई और नही, नताशा नरवाल का था पिता

फिर जो हुआ वो नही होना था
औरतो के लिए आवाज़ उठाना कैसे गलत था
और जो गलत हैं, उसके लिए कानून तो है ही,
पर एक बात बताओ
क्या उस बुढ़ापे को,जो विज्ञान का अभिमान था
उसकी बिटियां से अलग करना, सपने तोड़ना...
किसी भी वेद, पुराण, संविधान से सही था,
क्यों चुभती हैं, तर्क और सच्चाई के लिए लड़ने वाली लड़कियां
क्यो रोक दी जाती हैं, झाँसी रानी जैसी बेटियां।

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2 JAN 2022 AT 21:48

देश के एक प्रमुख नेता के विज़न और शब्दों से लगा कि शोषित पीड़ित को अच्छा जीवन मिलेगा, पर जब नेतृत्व में टीम वर्क न हो, चमचों को अन्याय और भरस्टाचार का खौफ न हो, तब शब्द सिर्फ भाषण ही नहीं बनते, बल्कि चमचों द्वारा बनाया गया झूठ, किसी योग्यता के पाप का भागी बन जाता है, कभी न कभी कोई न कोई ऐसा दमदार नेतृत्व तो आएगा जिसकी कथनी करनी एक हो, जिनके टीम शोषण नही बल्कि सेवक की तरह काम करेगी। गाँधी जी की तरह अब विचार सिर्फ बोलने तक सीमित हो गए, न्याय और अन्याय के सारथी को समझने का आखिर एक जवाब मिल गया,सत्य को परेशान करने वाला, हिंदू धर्म का साधक हो नही सकता। और बिना धर्म का नाम लिए, इंसानियत को जीने वाला, हर धर्म का कर्म का श्रेष्ठ पालनकर्ता होता है, कितना अच्छा होता जो ये विचार दिखावा न होकर कार्यशैली में होते, सपने तोड़ने से बड़ा पाप और क्या होगा? एक बेटी, जिनकी बेटियां नही है, वो भी बेटी, या बहन मानकर इस बात का अनुभव कर सकते है, वो भरतिया संस्कृति में के अनुसार स्त्री का सम्मान करना भले न जानते हो, मेरे संस्कार फिर भी कहते हैं, बिटिया बड़ो का अपमान मत करना, देश की एक बिटियां।

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2 JAN 2022 AT 20:43

जब सत्य पर संकट आता है तब महाभारत में कौरवों की हार इस बात का प्रमाण है कि न्याय ,प्रतिशोध जरूर लेती हैं।

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2 JAN 2022 AT 12:20

Mppsc mains कॉपी offline चेक हो, online हमे नही चाहिए

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1 JAN 2022 AT 21:26

Thanks 2020 to prove that m who innocent one for wat nature came for rebel, thanks to prove that my humanity is enough for my enemies saam ,dand and bheda and m rich from all ethics even in circumstances where as some powerful leader's were poor in mortality and totally fail on all ground on God's front

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1 JAN 2022 AT 21:20

कुछ लोग इंसानियत खरीदने लगे हैं, हे ईश्वर इन खरीददारों पर इतनी रहम करना कि कुछ संवेदनाए उन्हें भी नसीब हो पाए, aur उनके इस गुरूर को जरूर तोड़ना की वो भगवान नही है।ऊपर वाले कि लाठी में आवाज नही होती।

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