Ipsit Pandey 'Shivani   (ईप्सित पांडेय 'शिवानी')
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Joined 21 March 2018


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2 FEB 2022 AT 9:27

हर एक सपना फीका है उसके संसार का
धोखे के सिवा कोई और रंग ही नहीं उसके प्यार का

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30 JAN 2022 AT 22:05

मैंने क्या चाहा तुमसे प्रेम के अलावा?
सम्मान, स्नेह और स्वीकृति बस।
माने सब कुछ मिला जुला के बस प्रेम।
और तुमने क्या दिया मुझे?
प्रेम के अलावा सब कुछ।

प्रेम सौदा नहीं था इसलिए मुझे घाटा नहीं हुआ,
पर प्रेम में भावना थी, इसलिए मैं आहत हूँ।

और जो आहत है, उसे टूट जाना चाहिए
क्यूँकि बाहरी घाव से अधिक घातक होती है आंतरिक पीड़ा।

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13 JAN 2022 AT 8:30

स्त्री ने सदैव पाया एक चौथाई..
प्रेम, सुगंध और अपनापन
स्त्री ने सदैव दिया पूरा..
आरंभ, अंत और अपनापन

स्त्री ने सदैव पाया आधा..
प्रेम, प्रकाश और समर्पण
स्त्री ने सदैव दिया पूरा..
विश्वास, साथ और समर्पण

स्त्री ने सदैव दिया है सब कुछ पूरा
पर स्त्री को पूर्णतः मिली है बस एक भावना- आश्वासन।

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1 JAN 2022 AT 11:15

मैं नहीं मांगती नये साल में कुछ भी नया...

मैं चाहती हूँ मेरे पास हमेशा रिश्ते पुराने रहें

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29 DEC 2021 AT 23:35

जितना तुम्हें समझती हूँ
उतना उलझ जाती हूँ
तुम इंसान हो या 'राजनीति' की किताब।

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20 DEC 2021 AT 19:36

जाने कितनी पीड़ाओं से बना ये प्रेम
कितनी पीड़ाओं से मुक्त करता है...

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19 DEC 2021 AT 9:09

कहीं बह ना जाए पुरुष की आँखों से प्रेम
इसलिए उसे रोने नहीं दिया जाता
कहीं जम ना जाए स्त्री की आँखों में पीड़ा
इसलिए उसे चुप नहीं कराते।

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24 NOV 2021 AT 7:20

मन पंछी है
और
ज़रूरतें पिंजरा।

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17 NOV 2021 AT 7:55

मैं कितनी मर्तबा तुम्हें बुलाऊँगी
तुम कितनी मर्तबा मुझे अनसुना करोगे..

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4 NOV 2021 AT 10:03

चराग़ से दोस्ती हो, प्रेम का साथ हो
लक्ष्मी-गणेश का पूजन प्रेम के साथ हो
प्रेम दें सबको, प्रेम मिले सबसे
प्रेम ही कृतज्ञता हो, प्रेम ही स्वार्थ हो।

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