चंद हर्फ क्या उतारे
फखत कोरे कागज पर हमने,
हम कहानी
वो कहानी के किरदार बन गए-
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त... read more
एक शख्स क्या गया, यो फैसले बदल गए
वक्त वैसा ना रहा, सपने भी बदल गए
सुकुन है, खामोशी है, पर शोर अंदर है बहुत
जीने के जो मायने थे, वो पैमैने भी बदल गए-
सुना है, कुछ खफा हो हमसे तुम
कही यादो में बस यो मत चले जाना
गर शिकवों में इश्क़ की यादे सिमटी तो
दो कदम सफर खफा हो न कर पाओगे तुम-
इश्क मै तेरे, अरमान मुकम्मल हो गए
तेरे घर के सामने, हम यू खामोश हो गए
निकलो बाहर तो, नज़रे न मिलाना हमसे
दिल मे धक हो, शहर तेरे बरसात हो जाए-
वक्त ना बदलता
शायद मैं तुझे ना मिलता,
शौक में ना लेना मुझे
आवारा यूं मैं ना फिरता,
सफर संग करो
तो शिद्दत से साथ चलना,
खोया गर मैं
तो यूं फिर दोबारा ना मिलता!-
मेरी कहानियों में तेरा जिक्र ना होता
इश्क ना होता तो मैं यूं शायर ना होता
तू मिलती ना रोज ख्वाबों में आकर मुझे
तेरे घर से मेरा यूं फिर राब्ता ना होता-
इंतजार तेरा, वजह है फखत जीने की
और मिलोगी तुम, फखत वजह इंतजार की-
तू है तो इश्क है
इश्क का होना भी तुझसे है
रूठे भी तो रूठे कैसे
पर रूठना भी तो तुझसे ही है-
पढते है वो
तो लिखने का शौक हमें हो गया,
अहसासो को
हर्फ मे उतारने का हुनर हो गया,
यों ही नहीं
इर्शाद करते नज्म महफिलो में,
खामोशी में
तौसीफ़ से उनकी उंस हमें हो गया!-