तेरी हर अदा से मुझे प्यार है
तेरी हंसी से दिल को करार है।
तू ही मेरे दिल का शहर है
तुझसे ही मेरा ये संसार है।।
तू ही इश्क़ का सौदागर है
तुझसे ही इश्क़ का व्यापार है।
तुझसे ही कीमत है मेरी
तेरे बिन मेरा होना भी बेकार है।।
तू ही सुंदरता है मेरी
तू ही मेरा साज श्रृंगार है।
तू चाँद है मेरे जीवन कि
तेरे बिन मेरी रातों में अंधकार है।।
मैं पर्वत सा अडिग ज़िद्दी
तू बहती नदिया कि धार है।
तू हर लम्हा है हर पल है
तू ही सारे दिन वार है।।
मैं उलझी सी किताब हूं
तू उस किताब का सार है।
तुझ बिन मिले दुनिया कि हर ख़ुशी
मुझे हर दफा इंकार है।।-
Who's there ?
Oo its you looking for my bio.
Well as you can see I am too lazy so I h... read more
एक बूँद स्याही की,
सब लिखे पर दाग़ लगाती है।
एक बूँद स्याही की,
दिलों में आग लगाती है।।
एक बूँद स्याही की,
प्यार का इजहार करती है।
एक बूँद स्याही की,
नफ़रत पर वार करती है।।
एक बूँद स्याही की,
दुनिया भी बदल सकती है।
एक बूँद स्याही की,
ताउम्र साथ भी चल सकती है।।
एक बूँद स्याही की,
ना जाने कैसी पहेली है।
एक बूँद स्याही की,
कलम की पक्की सहेली है।।
एक बूँद स्याही की,
हर जगह पर दिखता है।
एक बूँद स्याही की,
से "काफ़िर" अपना ख्याल लिखता है।।
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एक बूँद की कहानी लिखनी थी
अपनी जुबानी लिखनी थी
वो जो पलकों को भिगोतीं नीचे उतरती थी
वो जो गालों को चूमती हुयी गुजरती थी
जब तक की ये हाथ उन्हें मिटा न दे
उनका निशां छुपा न दे
कितना कुछ वो कहती थी
सबसे छुप के तो बहती थी
दिल के हाथो मजबूर थी
घर से अपने दूर थी
नन्ही सी एक जान थी
मासूमियत उसकी पहचान थी
पर अब वो नहीं है
एक बात उसने कही है
"काफ़िर " इस जहां में किसे
परवाह मेरी हुयी है
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मेरी आँखों में तेरी तस्वीर हो
मेरे हाथो में तेरी लकीर हो
इतनी ही दुआ है मेरी "काफ़िर"
जिंदगी मेरी तेरी तकदीर हो
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तेरे लिए मेरा यही पैगाम है
मेरी चाहत बस तेरे नाम है
मेरी कहानी का हर लफ़्ज़ तू
तू आगाज तू ही मेरा अंजाम है
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तेरे प्यार में एक नगमा लिखूँ
ना मैं खुद को कभी तन्हा लिखूँ
लिखूँ अपने हाथो अपनी तकदीर
मैं हर दफा तुझे अपना लिखूँ-
पत्थर दिल हूं मैं
मुझे कुछ एहसास नहीं होता
हर लम्हा एक सा है
मेरे लिए कुछ खास नहीं होता
मुझे नहीं जरूरत किसी की
जरूरत में कोई पास नहीं होता
मैं खुश रहूं या नही
मैं किसी की बातो से उदास नहीं होता
कमी नहीं किसी चीज की पर
दुआ है की मैं काश नहीं होता
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वो खफा है तो क्या बस मेरा कुसूर है
मैं पास नहीं या वो मुझसे दूर है
उसके रूठ जाने का यही दस्तूर है
मैं मनाऊं उसे चाहे जिसका कुसूर है-
वो, जो ठंडी हवा है
हर मर्ज की दवा है
वो, जो धूप में छाँव है
रेगिस्तान में गाँव है
वो, जो झीनी बरसात है
ख़्वाबों भरी रात है
वो, जो मेरी सारी उम्मीद है
सुकून वाली नींद है
वो, जो घाव पे मरहम है
साथी और हमदम है
वो, जो एकलौती चाहत है
दिल को मिली राहत है
वो, जो मेरी मुस्कुराहट है
खुशियों की आहट है
वो, जो दिल की पुकार है
सारा संसार है
वो, जो दिल की धड़कन है
साँसों की सरगम है
वो, जो प्रेमगीत का साज है
कल और आज है
वो, जो बन गयी मेरी पहचान है
वो मेरी "जान " है-