बागबान की गुलाब से दोस्ती थी
बाकी सबके हिसाब से हम्मे प्यार था
बस उसके हिसाब से दोस्ती थी !
में दुनिया दारी की बाते करता था
उसकी बस किताबो से दोस्ती थी
माना की हम अदब से बात नही करते
पर ये मानो मतलब से बात नहीं करते
ये नरम लहजा ये प्यारी बातें
ये नरम लहजा ये प्यारी बातें
हम इस लहजे में सबसे बात नहीं करते...!!
पर एक बात ने ये कहकर रुला दिया
हम दोनो कब से बात नहीं करते...;
खामोशी ने इस कदर जकड़ लिया
हम दोनो अब बात नहीं करते..!!
:– अज्ञात-
चाहत तुझ से इस कदर है..
हर पल, सांस में तेरा ज़िक्र है
दिल को कैसे समझाऊं,
इश्क़–ए–इजहार में न कर पाऊं
तुझे खोने का भी जो खयाल आये
कमबख्त ये रूहे सहम जाएं..!!
:–अज्ञात
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कहने को तो सबकुछ है, "बदला - बदला" सा
ये "संसार" है, बदला सा
इस "संसार" के लोग है, बदले
इंसान का "ईमान" है, बदला
पर इंसान का "जात" न बदला
कहने को इंसान की "सोच" है, बदली
पर न बदली है, तो "औरत" के प्रति "सोच"
सुना है, इंसान के "कर्म" बदले
लेकिन इनके "धर्म" न बदले
सब कुछ है, बदला
पर फिर भी कुछ न "बदला" -_@nay
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हर पल हर लम्हे में तेरा ज़िक्र है
बिन तेरे हर लम्हा सुना है..!
तुझ से इस कदर हैं प्यार
हर घड़ी तेरा ही इंतज़ार ..!!
खोये है हम तेरे ख्वाबों में
मोहब्बत तुम से बढ़ गई
आँख खोलू या बंद करू
हर जगह तू नजर आये
महसूस होती हर जगह तेरी मोजदुगी
राहें उडिक्ति ये नैना तेरी ....!!!
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वक्त ने अक्सर सबक सिखाया है
सपने टूट जाते हैं पर पूरे होते नहीं
यू तो रहती है होठों पर मुस्कराहट
पर दिल ऐ हाल हम ही जाने..!!
जो दिलों में बस जाते हैं
अक्सर वही बोहोत रूलाते ...!!
:– अज्ञात-
नजरे जो चुराने लगे हो
अब मिलाओगे खुद से कैसे
होंगे न हम तो अफ़सोस करोगे
जिक्र होगा जब इश्क़ का रो पड़ोगे.....!!
:– अज्ञात-
देखकर तुझे में, चंद घड़ियां जी लेता हुं
याद आने पर तेरी लबों को अपने सी लेता हुं
:– अज्ञात
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When someone comes in it,
it blooms like as flowers,
but after it leaves, nothing is left
except to break like an autumn
:–अज्ञात-
कितने बेबस हैं ये रिश्ते
कोई रूह से पूछे कितना तड़पता है
दिल इनके आगे
उदास हो जाती हैं जिंदगी..
जीना चाहे पर वजह नहीं मिलती
रातभर यादों में इनकी रोते
गर मिलना ही होता इनको तो
जिंदगी भर के क्यू नी मिलते...!!
:– अज्ञात-
इस अजब सी दुनियां में सब होते हुए भी
अलग सा महसूस करती वो,
बहुत गम होते, उसके मन में
कमबख्त कितने दुखों से गुजरती होगी वो
सब को लगता मज़बूत हैं, वो
पर, जीने को कोई वजह न बचती
जब अपने ही अपने ना रहे....!!
:– अज्ञात
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