तुम अभिधा ही बने रहेवो व्यंजना बने रहेलक्षणा तक का सफ़रन कोई तय कर सका। -
तुम अभिधा ही बने रहेवो व्यंजना बने रहेलक्षणा तक का सफ़रन कोई तय कर सका।
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