10 JAN 2018 AT 17:49

ख़ुदपरस्त, दुनियापरस्त लोगों ने
हमसे भी जोड़े थे रिश्ते बहुत
दिखते हैं वो आज भी
नए मोहरों के साथ खेलते हुए
पाती हूँ खुद को अकेला
अपने सिद्धांतो और आदर्शों के मध्य
भीड़ भरे जहाँ में ' एकला चलो रे '
आसान कब हुआ है !!!

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