ख़ुदपरस्त, दुनियापरस्त लोगों नेहमसे भी जोड़े थे रिश्ते बहुतदिखते हैं वो आज भीनए मोहरों के साथ खेलते हुएपाती हूँ खुद को अकेला अपने सिद्धांतो और आदर्शों के मध्यभीड़ भरे जहाँ में ' एकला चलो रे 'आसान कब हुआ है !!! -
ख़ुदपरस्त, दुनियापरस्त लोगों नेहमसे भी जोड़े थे रिश्ते बहुतदिखते हैं वो आज भीनए मोहरों के साथ खेलते हुएपाती हूँ खुद को अकेला अपने सिद्धांतो और आदर्शों के मध्यभीड़ भरे जहाँ में ' एकला चलो रे 'आसान कब हुआ है !!!
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