अपने ही लूटते हैं, कश्तियां डुबा देते हैं l
सियासी मसखरे पहुआ मे बोतल का मजा देते हैंl
सत्ता की हवस -चाहत इन्हे बेसब्र जो कर दे,
अपने घर के "चिराग" को खुद ही बुझा देते हैंl-
राम का नाम कितना भुनाओगे तुम,
नियत अपनी कितना गिरवोगे तुमl
"आस्था" को न तोड़ो "घोटाले" ना कर,
नैतिकता जगाओ "दीवाले "ना कर,
इतना आखिर सबर भी नही क्या तुम्हे
कमाई भी तो "मंदिर" की खाओगे ही तुमlll-
मजदूर
सह लेंगे सितम न कभी फरियाद करेंगे,
नियति की सजा मान आत्मसात करेंगे।
बेशक हजारों मील पैदल को हैं मजबूर,
सब भूल जाएंगे न कभी याद रखेंगे।
लाचार हो शहर को जो वीरान कर गये,
लौटेंगे वही फिर से आबाद करेंगे।।
इन्द्रेश यादव "प्रभात"
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कोरोना को है जंग में गर हराना,
सरकार से होगा कंधा मिलाना।
मंदिर मस्जिद सब घर को ही मानो,
पूजा इबादत को बाहर क्यों जाना ।
सुनें देशवासी यही आरजू है,
कुछ दिन घरों में यूं ही बिताना।
जीवन को कुछ दिन अकेला बना दो,
महंगी पड़ेगी यारी निभाना ।
मगर जो हैं मुस्तैद इस आपदा में,
एहसान उनके न यों भूल जाना।
मनोबल ना उनका गिरे इस घड़ी में,
दीए जलाकर के हिम्मत बढ़ाना,
जरूरी है घर में दीपक जलाना।।
इन्द्रेश यादव-
ठहर जा ! बेमौत ही मर जाएगा
बुरा वक्त है एक दिन ये गुजर जाएगा
भीड़ से बच कर अभी खुद को सलामत रक्खो,
कोरोना काल है ये तुमको निगल जाएगा ।
हजारो मील पैदल पहुचना मुश्किल है ,
रख ले धैर्य वरना भूख से मर जाएगा।
ऐसा हरगिज न हो कि साथ बिमारी जाए,
शहर से पहले तेरा गाँव उजड़ जाएगा।।
इन्द्रेश यादव
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आन पड़ी हैं परस्तिथियाँ कठोर ,
मुश्किल मे है आज जीवन की डोर।
कैद कमरों मे होके ऐसा लगे ,
छूट कर भाग जाएं अपने "गाँव"की ओर।।
इन्द्रेश यादव-
नेताओं पर आंख मूंदकर जब तक विश्वास जताएगी,
देश की भोली भाली जनता तब तक लूटी जाएगी।
तमाशबीन हैं तुम्हें लड़ाकर सब सत्ता के भूखे हैं,
लाशो पर भी राजनीति करने से कब चूके है।
चिन्ता नहीं तुम्हारी इनको आँसू इनके घड़ियाली है,
दंगा धरना खून खराबा इनकी ईद दिवाली है,
आँखें खोलो जागो जनता अपने विवेक से काम करो,
तुम्हें बाँटकर सदा सियासी रोटी सेकी जाएगी।।
Indresh Yadav
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नेता नेतागिरी करेंगें चमचे चमचागिरी करेंगें ।
मीडिया वाले दिलो मे सबके दिनो रात बस जहर भरेंगे।
हिन्दू मुस्लिम धरने दंगे एक सियासी साजिश है,
सत्ता की रबड़ी बारी बारी मिल जुलकर के चखा करेंगें।।
Indresh Yadav
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ये सिला मिल जाएगा , "CAA" के जाप को
या कमल खिल जाएगा,या सत्ता मिलेगी "आप" को
ये सियासत है निकम्मी बस तमाशा देखती,
"ढोल"जनता को समझकर साधती है "थाप" को-
आजादी के क्रान्ति दूत देश भक्ति के प्रणेता थे,
थे जनमानस के नायक प्रतापी थे विजेता थे।
सदा लड़े आजादी को गुलामी जिन्हें मंजूर न थी,
मात्रभूमि को हुए न्यौछावर देश के सच्चे नेता थे।।
इन्द्रेश यादव "प्रभात"-