INDRESH SINGH   (Indresh Singh)
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I Never Hurt Others Because I Know How It Feels
Joined 13 February 2018


I Never Hurt Others Because I Know How It Feels
Joined 13 February 2018
20 MAR AT 22:46

Ajeeb sa safar hai ye Zindagi…
Manzil milti hai maut ke baad…!!

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20 MAR AT 22:42

रहता है सिर्फ़….एक ही कमरे में आदमी…
उसका ग़ुरूर रहता है बाक़ी मकान में..!!

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15 MAR AT 23:42

पहले बातों में “दिल” लगता था
अब दिल पर, बातें लगती है…!!

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12 FEB AT 18:29

फूल गवाह है कि…
तोड़े वही जाते है जो अच्छे है..!

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2 FEB AT 2:10

थोड़ा गहराई से पढ़ने की आदत है मेरी,
वो चाहे शब्द हो या फिर शक्स…..

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24 NOV 2024 AT 22:34

Tere mere Khwab kaha mil sakte hai..!
Tune raat aur maine Umra guzaari hai..!!

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17 SEP 2024 AT 23:06

मुझे ना बताइये इश्क़ की तहज़ीब..!
मैंने उम्र भर बस उसे दूर से देखा है…!!

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4 AUG 2024 AT 8:28

कई जन्म काटे,
कई उम्र बोई,
चलते चलते यूं ही नहीं,
मिला करता कोई….

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23 MAY 2024 AT 6:09

महँगा जूता अक्सर वहीं खरीदते हैं..!
जिसके भाग्य में चलना कम लिखा होता है…!!

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23 MAY 2024 AT 1:21

कोई ये कैसे बताए कि वो तन्हा क्यूँ है
वो जो अपना था वही और किसी का क्यूँ है
यही दुनिया है तो फिर ऐसी ये दुनिया क्यूँ है
यही होता है तो आख़िर यही होता क्यूँ है
इक ज़रा हाथ बढ़ा दें तो पकड़ लें दामन
उन के सीने में समा जाए हमारी धड़कन
इतनी क़ुर्बत है तो फिर फ़ासला इतना क्यूँ है
दिल-ए-बर्बाद से निकला नहीं अब तक कोई
इस लुटे घर पे दिया करता है दस्तक कोई
आस जो टूट गई फिर से बंधाता क्यूँ है
तुम मसर्रत का कहो या इसे ग़म का रिश्ता
कहते हैं प्यार का रिश्ता है जनम का रिश्ता
है जनम का जो ये रिश्ता तो बदलता क्यूँ है
कैफ़ी आज़मी

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