Indresh Mittal  
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Dil se likhne ki koshish krta hu dil se padhna chahte ho to hi follow kre
Joined 27 September 2017


Dil se likhne ki koshish krta hu dil se padhna chahte ho to hi follow kre
Joined 27 September 2017
26 APR AT 23:44

Your heart is that which every time filled like a fine wine and shattered into pieces by some carelessness and expectations of you

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20 APR AT 21:54

दिल को करार आया, जब उनका दीदार पाया
हम खो गये उस लम्हे में, हमको जगाने पूरा बाजार आया





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11 APR AT 22:45

हर किसी के हिस्से में किताबें नहीं आतीं

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8 MAR AT 23:41

होठों पर तो है, आँखों में वो इज़्ज़त नहीं हैं

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9 FEB AT 23:01

अंधेरों से हुई है जबसे दोस्ती चिरागों से हमें डर लगता है !
खुशियों के महल से अच्छा गम का खंडर लगता  है !

धोखे दिये है मुझे दिये है लोगो ने राह ए जिंदगी में इतने
हर धोखा देने वाला अब मुझे हमसफ़र लगता है ।।

भटकते हुए इन सड़कों पे उम्र गुजार दी मैने,
अब हर नुक्कड़ इस शहर का मुझे घर लगता है ।।

प्यासा ही लड़ रहा हूँ न जाने कब से मैं,
अब रास्ते की नदी भी मुझे समंदर लगता है ।।

मैने जाना है तुम तो पहले ऐसे नहीं थे, 
तुम पर भी हुआ इस शहर का असर लगता हैं ।।

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26 OCT 2024 AT 21:56

प्रेम मौन संवाद है तो फिर यहाँ इतना शोर क्यू
अंधेरी रातो का है ये जादू फिर होती ये भोर क्यू

पूछता है हर शख्स ही इस ज़माने मे,
जो डूबे वो ही पार हो ये इतना घनघोर क्यू


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15 SEP 2024 AT 22:07

ज़िंदगी दो पल के सूकून की तलाश है
ख़ुशनसीब है वो जिनके ये पास है
भटक रहे है लाखो हमसे ही इस शहर मे
बूझती ही नही कैसी ये प्यास है

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14 SEP 2024 AT 20:58

वो चाय का कप, वो बकचोदी, वो यार याद आते है
हम बैठते है जब भी तन्हा वो ही लम्हें हर बार याद आते

बुलाने लगे है अब महफ़िलो मे लोग , एक भीड़ भी कमा ली है
पर बात जब होती है दौलत की मुझे दोस्त सिर्फ चार याद आते है

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13 SEP 2024 AT 23:40

इनकार की वजह तो बताते
एक बार हमसे नज़रे तो मिलाते
हम मुकर जाते वादों से खुद ही तुम्हारे
तुम पर कभी भी पर उँगली ना उठाते

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13 SEP 2024 AT 23:21

मेहनत लगती है यारो एक मक़ाम हासिल करने मे
ईंट और पथर से सिर्फ घर नही बना करते

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