Indrajeet Sinha   (© इन्द्रजीत)
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ज़िंदगी और कुछ भी नहीं बस तेरी और मेरी कहानी है...
Joined 26 June 2017


ज़िंदगी और कुछ भी नहीं बस तेरी और मेरी कहानी है...
Joined 26 June 2017
21 NOV 2021 AT 0:24

ये इल्म का सौदा ये रिसाले ये किताबें
इक शख़्स की यादों को भुलाने के लिए हैं
- जाँ निसार अख़्तर

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21 NOV 2021 AT 0:07

मेरे मन की उपज है,
मेरे मन का कौतूहल है।
ना मैं कोई लेखक हूं, ना कोई पत्रकार,
जो मन में आता है, उन्हें ही अल्फ़ाज़ में लिख देता हूं।
जो लेख लिखता हूं कौन पढ़ रहा है, कौन नहीं पढ़ रहा इस पर विचार नहीं करता हूं।
विचार तो सिर्फ इस पर करता हूं
उसमें कितना भाव छुपा है।
क्या लेख लिखा हूं? क्या तात्पर्य है?
सिर्फ इस विचार पर मेरी दौड़ रहती है।
मेरे मन की उपज है,
मेरे मन का कौतूहल है।
कितना अच्छा लिख पाया हूं
कितना अच्छा लिख पाऊंगा।
मेरे मन की उपज है,
मेरे मन का कौतूहल है।
क्या देखता हूं? क्या समझता हूं?
उस पर प्रयास करता हूं की कुछ लिख पांऊ।
देर सही पर सीख रहा हूं
एक अच्छा लेख लिखने का,
जुटा हूं मैं कोशिश में एक प्रयास में लेख लिखने को।
सब मेरे मन की उपज है,
मेरे मन का कौतूहल है।

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12 NOV 2021 AT 23:36

स्त्री को बिना शर्त के प्रेम किया जाता है, लेकिन एक पुरुष को तभी प्रेम किया जाता है जब वह समाज मे अपना वजूद तय करे। अर्थशास्त्र हमेशा प्रेमशास्त्र पर भारी पड़ा है।

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27 OCT 2021 AT 15:59

प्रेम अकेला रसायन है, जिसमें अहंकार गलता है और पिघलता है और बह जाता है। जहां ईष्या है, वहां प्रेम संभव नहीं है। जहां प्रेम है, वहां ईष्या संभव नहीं है। प्रेम निरंतर प्रतीक्षा करता है ! प्रेम एक प्रतीक्षा है, एक अवेटिंग है। प्रेम ही ईश्वर है और ईश्वर ही प्रेम है।

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16 OCT 2021 AT 13:31

जितने के लिए पहले लड़ना पड़ता, गिरना पड़ता, सम्हालना पड़ता फिर जीत का आनंद लिया जाता है।

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6 MAR 2021 AT 19:58

प्रेम वो भाव है जिसे मन सीधा वृंदावन को जाता है।

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18 FEB 2021 AT 20:30

कुछ लिखना चाहता हूं।
पर कलम ही नहीं मिल रही है।

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6 NOV 2020 AT 20:30

हम लिखते रहे है
वो पढ़ते रहे

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8 APR 2020 AT 12:32

प्रेम नहीं बीतता
वक्त के साथ,
वक्त तेज़ी से
बीत जाता है
प्रेम के साथ।
- अनुश्री

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25 MAR 2020 AT 21:28

21 दिन है मेरे पास
घर पर रहूंगा
घर में ही रहूंगा
घर में रहना है
घर में रहूंगा

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