बिरखा री रुत कद आवेली
आसां री टाणी मुरझावेली
ओल्यू तो आवे पण सागे
नैण नीर, झर झर जावेली..
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Indraj Gaur
(iNDU⭐)
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आसमानों पे अकेला हैं खुदा मेरे बाद...🖤
(राजस्थानी💛🇮🇳)
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(राजस्थानी💛🇮🇳)
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Joined 15 February 2018
30 APR AT 21:55
16 APR AT 20:29
पैर जैसे है, इस सफर में है
खैर उनकी हो जो घर में है
मुफलिसी ऐसी के छोड़े ना
जान, जाने के चक्कर में है
फुटपाथ, रोज़ सोचती होगी
वो भी जायेंगे जो बिस्तर में है
मुझको होना है उससे ज्यादा
जो लिखा हुआ, मुकद्दर में है
बेबसी भी तो अपनी जगह है
पर आग अपने भीतर में है
नूर ऊनका ही रह गया है इंदु
जो तीरगी की टक्कर में है..📝-
12 APR AT 8:14
लुटाता रहा था जो, उसी, को लूट ले गया
लुटेरा था कोई ऐसा सभी को लूट ले गया..-
7 APR AT 21:38
शब ए हिज़्र, और गम है गुजारा
के लौट आओ अब तो मेरे यारा
जिस तरफ भी जा रही हो सदा
हर तरफ, जा ब जा, मैंने पुकारा..-
2 APR AT 7:36
धुंधला धुंधला सा कुछ, पानी आ गया होगा
बरसो बाद कोई याद, यानी आ गया होगा
फिर से भला किस ओर देखने लगे हो तुम..
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1 APR AT 7:20
हमने तो सपने ही देखे, कुछ ना था अपना सा
अपनो को देखा, जाना, सब कुछ था सपना सा..-