Indra Kumar Upadhyay   (Indu..✍️)
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I'm different more than other people
Joined 27 March 2019


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21 FEB 2024 AT 13:12

बिन धागे, बिन बंधन
किसी से बंधे रहना प्रेम हैं !

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15 AUG 2022 AT 7:23

#क्या_हम_स्वतंत्र हैं...?
आज भारतवर्ष को अंग्रेजो से स्वतंत्र हुए 75 वर्ष पूर्ण हुये। इन वर्षों में नित नए कीर्तिमान स्थापित हुए, जिससे माँ भारती का मुखमण्डल दिव्य अलौकिक आभा से परिपूर्ण हुआ। शून्य से शिखर तक पहुंचने की साहसिक कथाओं से भरे पड़े साहित्य में कुछ ऐसे भी पन्ने हैं जो हमे आजीवन आत्मग्लानि का कटु अनुभव देते रहेंगे और विचार करने पर विवश करते रहेंगे। बार-बार यही प्रश्न दोहराते रहेंगे "क्या हम स्वतंत्र हैं?"भारतीय समाज
अंग्रेजों के परतंत्रता की बेड़ियाँ तोड़कर स्वतंत्र तो हो गया लेकिन 75 वर्ष के युग समान लम्बे कालचक्र के समाप्त हो जाने के बाद भी मानसिक स्वतंत्रता नहीं प्राप्त कर सका। भारतीय सिद्धान्त के अनुसार स्वयं की स्वतंत्रता के सापेक्ष सामने वाले की स्वतंत्रता का सम्मान और ध्यान रखना हमारा दायित्व&कर्तव्य है लेकिन हम अपनी अनावश्यक मानसिक परतंत्रता को छिपाने और नए युग के नए विचारों का वाहक बनने का ढोंग करके दूसरे की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप करते रहते हैं। निष्कर्ष रूप में कहा जाय तो वर्ष में एक बार राष्ट्रभक्त बनने का ढोंग करके उत्सव मनाने से हमारी स्वतंत्रता की सार्थकता सिद्ध नहीं होगी अपितु हमें सर्वप्रथम मानसिक स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिये हृदय में चल रहे अंतर्युद्ध में विजयी होना पड़ेगा। जिस दिन हम ऐसा करने में सफल हो गए उस दिन हम वास्तव में पूर्णतः स्वतंत्र है।

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15 JUN 2021 AT 9:09

लडका होना 😊
उम्मीदो से लदी पीठ.जिम्मेदारी उठाये कंधे.जर्जर होते जज्बात.खुद की आँखो मे सजे सपने भुलाये बैठा.खुद को जो भूल गया जरूरतो को पूरा करते करते.जीवन के प्रारंभ से ही सिखाया जाता है मजबूत रहना.कभी नही रोना.आँखो मे आँसूओ को ना लाना.चाहे पीडा का सागर कितना भी विशाल क्यूँ ना हो.सिखाया जाता है बस मजबूत रहना.
चाहे माँ बाबा की उम्मीद हो.भाई बहनो की ख्वाहीशे.या हो अपनी मोहब्बत को आँखो के सामने किसी और का होते देखना.जीवन मे सफल होना.अच्छा घर.अच्छी नौकरी.अच्छी शादी.और फिर यही सिलसिला बरसो तक
उसको कभी वक्त ही नही दिया जाता की वो खुद के लिए जी सके.पूछो किसी लडके से.जैसै तैसै जीना सीखता है तो फिर संघर्ष पीछा नही छोडे
समाज.परिवार.दोस्त.रिश्तेदार.उसको मौका ही नही देते सँभलने का.खुद के लिए जीने का.गिरते सँभलते वो उस पुरानी डायरी मे दर्ज मोहब्बत से उबरता है तो फिर लाद दी जाती है जिम्मेदारी.और फिर एक और.और फिर एक और.ये अनवरत चलने वाला सिलसिला..
और फिर एक नया टैग की लड़के दर्द जाहिर नही किया करते.लड़के रोया नही करते.लडके कमजोर नही हुआ करते.लडके ऐसे लडके वैसै.आखिर क्यूँ?
दर्द उन्हें भी होता है.रो वो भी सकते है.कहना उन्हें भी बहुत कुछ है.ओह्ह मगर किससे? कभी जानना चाहा?
खैर.तुम्हें क्या.तुम्हें उसके दर्द से क्या.तुम्हें उनकी इच्छाओ से क्या?
खैर लिखने को तो बहुत है.मगर छोडो.तुम्हें उससे क्या?? ❤

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4 MAY 2021 AT 11:40

अपनों के जाने का दर्द बहुत नजदीक से देख रहा हूँ🧐 और मैं बेबस कुछ नहीं कर पा रहा..उनके परिजनों का कारुणिक क्रंदन गूँजता है कानों में...अजब ये बीमारी है कि किसी को गले लगाकर दिलासा तक नहीं दे सकता। बेबसी में रातें रोकर गुजरती हैं अक्सर! लेकिन इस सबका एक असर ये हो रहा कि दिल कठोर होता जा रहा मेरा...
आज इक अस्पताल में एक लगभग 3० वर्षीय तलाकशुदा महिला जो कोविड पॉजिटिव थी, उसकी 6 साल की बेटी को अपनी माँ के लिए तड़पते देखा तो कलेजा मुँह को आ गया।
अभी तक उसी पीड़ा में हूँ, प्रयास कर रहा उबर सकूँ।
कोविड महामारी के इस दौर में लोग समाज से और अपनों से कट गए हैं, घर में बंद जिंदगी एक नजरबंद कैद सी लगती है, लोग ऐसे में फ्रस्टेट हो रहे, डिप्रेस्ड हो रहे, अग्रेशन बढ़ रहा। बच्चे चिड़चिड़े हो रहे। कितना सोयें और कितना टीवी देखें, न्यूज भी नकारात्मकता की दूकान हैं।
अपील है आप सब से कि यदि कुछ बहुत ज्यादा न कर सकें तो अपने सम्बंधियों, दोस्तों और परिचितों से जुड़े रहिये, उनसे बातें करिये। इस कठिन समय में ये जरूरी है। मनुष्य सामाजिक प्राणी है, इसलिए वो ज्यादा दिन तन्हा नहीं रह सकता।
इसलिए सामाजिकता निभाइये, रिश्ते जोड़िए, मुस्कान बाँटिये। यकीन मानिए इससे आप भी अच्छा महसूस करेंगे....
धन्यवाद 🙏

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19 APR 2021 AT 13:21

महामारी के इस मुश्किल दौर में दूसरों की हिम्मत बनिए, अभी जरुरी है सिर्फ इंसानियत दिखाने की तो बिल्कुल न चूकिए।
अभी इक-दूजे को नीचा दिखाने का दौर नहीं है......सब-कुछ भूलकर एक मानवीयता और सौहार्द का आदर्श प्रस्तुत करें।
.......और ऐसे मुश्किल दौर में भी धर्म की आड़ ले किसी एक दूसरे को नीचा दिखाने वालो आपसे महान कोई नहीं है पृथ्वी के एकमात्र विनाशक तत्व हैं आप ....ये वक़्त एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप का नहीं है .....जमात कुम्भ सब छोड़ो यार हमें एक दूसरे की जरूरत है .....हमें खुद नहीं पता कि कल सुबह हमारी आंखे खुलेंगी या नहीं तो किस धर्म के लिए लड़ें हम ....वक़्त है साथ देना का.... ये संकट की घड़ी है इसे राजनीति और धर्म में मत उलझाओ ....जहां तक आप किसी की मदद कर सकते हो वहाँ तक करो ....
मैं सच में उनसभी का आभारी हूँ जो इस मुश्किल वक़्त में भी दृढ़ता से जुटे हुए हैं और अपने स्तर से हर सम्भव कोशिश कर रहें हैं .....thank you so much
ईश्वर हम सभी की रक्षा करे ...प्रकृति हमारे अपराधों को क्षमा करें...!🙏🙏

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16 APR 2021 AT 15:08

दिक्कत पढ़ाई से नहीं आपकी सोच से है मुख्यमंत्री जी केवल आपने अपने राजनीतिक साथियो का ही सोचा.. इसीलिए बोर्ड की परीक्षा टाल दिए बेरोजगार पढ़ & पढ़ा ना पाए तो कोचिंग बंद करने का आदेश दे दिया लेकिन बन्दा प्रधानी चुनाव रोकने का आदेश नही दिया आदेश दिया तो भीड़ कम हो लेकिन चुनाव जरूर हो। तो कहना चाहूंगा कि अगर प्रधानी का चुनाव 10 और 12 के पेपर से ज्यादा जरूरी है तो इसका मतलब आपकी जाहिल और अनपढ़ लोगो की सरकार है और महोदय कोचिंग को आदेश दे देते की एक बैच में 30 लोगो को पढ़ाओ तो क्या दिक्कत थी अपने केवल बेरोजगरो और युवा वर्ग को केवल प्रताडित किया है। इसका परिणाम 2022 में मिलेगा कोरोना इतनी बड़ी बीमारी नही है अगर होती तो बंगाल चुनाव जहाँ लाखो की तादात में भीड़ हो रही उसमे प्रधानमंत्री जी गृहमंत्री जी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री जी और तमाम लोग जा रहे है तब भीड़ नही होती है तब कोरोना का टीका लकें घूमते है क्या..?
प्रधानमन्त्री जी सुबह प्रचार रोड सो करेंगे शाम को लाइव के ज्ञान पे.... देंगे 2 गज दूरी बहुत जरूरी और इतना जरूरी रहा तो का करे बंगाल गये रहे प्रचार करने खैर अनपढ़ लोगो की सरकार इससे ज्यादा कुछ नही सोच सकती है
दोस्तो अब निर्णय खुद लेना है

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3 APR 2021 AT 14:08

आइये साझा करते हैं कुछ जीवन के संघर्षों को 👇👇
"संघर्ष ही जीवन है"
संघर्ष और ज्ञान के मेल से एक क्षमता को विकसित किया जा सकता है। परंतु संघर्ष अज्ञानता के साथ जुड़ता है तो वह विनाश को बुलावा देता है।
हमें जीवन में संघर्षो का स्वागत करना चाहिए। बिना संघर्ष किए जीवन के लक्ष्य प्राप्त नहीं किये जा सकते। संघर्ष करने वालो की कभी हार नहीं होती। संघर्ष से व्यक्ति का व्यक्तित्व निखरता है.......तो कहानी शुरू होती है क्लास 10th के बाद से कुछ पारिवारिक कारणों से 10th के बाद से ही घर से दूर जाना पड़ा न चाहते हुए भी ये निर्णय लेना पड़ा ! मैं भी एक सपने संजोए हुए अपनी आँखों मे निकल गया था कि कुछ करूँगा जीवन मे , पढ़ाई-लिखाई चलती रही पर आधा समय उन कारणों पे ध्यान रहता जिनकी वजह से ऐसा करना पड़ा ,धीरे धीरे सीखता गया अकेले रहना , खुद से ही सब कुछ करना खाना बनाने से लेकर अपनी पढ़ाई लिखाई सब कुछ का ध्यान रखना !!
Dreams तो थे इंजीनियरिंग में एडमिशन लेने की हालांकि ऐसा हो नहीं पाया🙂इस बात से अनभिज्ञ की जीवन का असली संघर्ष तो एकेडमिक खत्म होने के बाद इंतेज़ार कर रहा था।
Read in caption...🤙

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21 MAR 2021 AT 18:51

बेटी की विदाई के वक्त बाप ही सबसे आखिरी में रोता है क्यों, चलिए आज आपको विस्तार से बताता हूं👇
बाकी सब भावुकता में रोते हैं, पर बाप उस बेटी के बचपन से विदाई तक के बीते हुए पलों को याद कर कर के रोता है माँ बेटी के रिश्तों पर तो बात होती ही है, पर बाप ओर बेटी का रिश्ता भी समुद्र से गहरा है। हर बाप घर के बेटे को गाली देता है, धमकाता है, मारता है, पर वही बाप अपनी बेटी की हर गलती को नकली दादागिरी दिखाते हुए नजर अंदाज कर देता है बेटे ने कुछ मांगा तो एक बार डांट देता है पर बेटी ने धीरे से भी कुछ मांगा तो बाप को सुनाई दे जाता है, और जेब मे हो न हो पर बेटी की इच्छा पूरी कर देता है ।
दुनिया उस बाप का सब कुछ लूट ले, तो भी वो हार नही मानता पर अपनी बेटी के आंख के आंसू देख कर खुद अंदर से बिखर जाए उसे बाप कहते हैं और बेटी भी जब घर मे रहती है तो उसे हर बात में बाप का घमंड होता है, किसी ने कुछ कहा नहीं कि वो बेटी तपाक से बोलती है, पापा को आने दे फिर बताती हूं
बेटी घर मे रहती तो माँ के आंचल में है, पर बेटी की हिम्मत उसका बाप रहता है बेटी की जब शादी में विदाई होती है तब वो सबसे मिलकर रोती तो है पर जैसे ही विदाई के वक्त कुर्सी समेटते बाप को देखती है, जाकर झूम जाती है और लिपट जाती है और ऐसा कस के पकड़ती है अपने बाप को जैसे माँ अपने बेटे को...
Full story read in caption...🤙

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20 MAR 2021 AT 14:58

बिछड़ने से कुछ वक़्त पहले लड़की ख़ामोश हो जाती है... लड़का उसे समझा चुका होता है कि रोना नहीं...
लड़की हाँ में सिर हिला देती है कि रोएगी नहीं. पेड़-पहाड़ी सब पीछे छूटते जा रहे होते.. सिर्फ़ सूरज उनके साथ चल रहा होता।
लड़की की आँखों से आँसू की मोटी-मोटी बूँदे लड़के की जेब में टपक रही होती है, लड़का लड़की की तरफ़ देखे बग़ैर उसके सर को सहला, बालों को सही करने लगता है। आँसू भरी नज़रों में एक मुस्कान खिल जाती है, लड़के की इस शरारत पर।।।
और फिर अगले ही पल लड़की फूट-फूट कर रोने लग जाती है. लड़की को लगने लगता है कि इस पल में कल वो अकेली होगी. इन सड़कों से गुज़रते हुए उसे उसका महबूब नहीं दिखेगा. वो कहीं भी नहीं होगा. शहर में सब हो कर भी कोई भी नहीं होगा.
वो कितना कुछ कह देना चाहती है उस पल में मगर वो कुछ बोल नहीं पाती. उसकी हथेली को लड़का अपनी हथेली में पिघलता महसूस करता है. लड़की सूनी आँख लिए, बिना बाई बोले आख़िर में कैब से उतर जाती है. तो इस प्रकार
सबसे गहरे रिश्तों की विदाई ऐसी ही ख़ामोशी से हो जाती है!

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9 JAN 2021 AT 13:44

इस संसार के सबसे खूबसूरत लोग वे हैं जिन्होंने कभी न कभी हार झेली है, निराश हुए हैं, धोखा खाये है, छले गए हैं, टूटे हैं, अवसादग्रस्त हुए हैं, रोए हैं, चीखे हैं, कई रातें सो कर नहीं...रोकर ग़ुज़ारे हैं...लेकिन फिर अपने आँसू पोंछ, अपनी इच्छाशक्ति बटोर,,,उन अंधेरों को काट रास्ता बनाये है, स्याह अंधेरों से बाहर निकलने वाले जानते हैं दिल टूटने का दर्द, हताशा के कारण, ज़िंदग़ी का मूल्य।
इसलिए वे करुणा से भर जाते हैं,, दूसरों की छोटी से छोटी चीज़ को भी appreciate करने का गुण आ जाता है।
उनका नज़रिया और से कहीं अधिक परिष्कृत होता है, वास्तव में.....ख़ूबसूरत लोग पैदा नहीं होते, ज़िंदग़ी के हादसे उन्हें ख़ूबसूरत बना देते हैं....।।

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