पता नहीं क्या बदला है....?
पर अब पहले जैसा कुछ भी नहीं है....-
संघर्ष पथ में जो मिला, ये भी सही, वो भी... read more
कभी-कभी विछोह उठेगा, जीवन से भी मोह उठेगा।
हर कोई खुदगर्ज लगेगा, खुद का खुद पर कर्ज लगेगा।
इससे मगर निकलना होगा, हर दुर्भाव बदलना होगा।
मन पीड़ा में विचलित होगा, लेकिन फिर भी चलना होगा।
अपने कई पराए होंगे, मन में बैर बढ़ाए होंगे।
उनका भी मन रखना होगा, जो जिस मन से आए होंगे।
गिरूँ अगर फिर उठना होगा, फिर से हिम्मत करना होगा।
लंबी दूरी तय करने को, लेकिन फिर भी चलना होगा...
#कौशल_तिवारी-
निकले हैं कुछ लोग मेरी शख्शियत बिगाड़ने
जिनके खुद के किरदार मरम्मत मांग रहे ...-
दरिया तेरी अब खैर नहीं,
बूंदों ने बगावत कर ली है,
नादान न समझ बुजदिल इनको,
लहरों ने बगावत कर ली है,
हम परवाने हैं, मौत समां,
मरने का किसको ख़ौफ यहाँ।
रे तलवार तुझे झुकना होगा,
गर्दन ने बगावत कर ली है...
#आशुतोष_राणा-
अम्बर अपनी कठिन डगर को
खुद आसान बनाते हैं,
माथे की हर शिकन को होठों,
की मुस्कान बनाते हैं,
हिम्मत, मुश्किल वक्त में हमको,
यही पाठ सिखलाती है,
उपहासों को कैसे जीवन,
का वरदान बनाते हैं
#अनामिका_अम्बर-
मैं अकेला हूँ मगर इतना भरोसा है मुझे,
जिस तरफ़ भी चल पड़ूँगा कारवाँ हो जाऊँगा,
हौसलों की बात मत कर सिर्फ़ इतना ही समझ,
जब भी चाहूँगा, उठूँगा, आसमां हो जाऊँगा ।
(निर्मल नदीम )-
बैठे हैं चैन से कहीं जाना तो है नहीं
हम बे-घरों का कोई ठिकाना तो है नहीं
तुम भी हो बीते वक़्त के मानिंद हू-ब-हू
तुम ने भी याद आना है, आना तो है नहीं
अहद-ए-वफ़ा से किस लिए ख़ाइफ़ हो मेरी जान
कर लो कि तुम ने अहद निभाना तो है नहीं
वो जो हमें अज़ीज़ है कैसा है कौन है
क्यूँ पूछते हो हम ने बताना तो है नहीं
दुनिया हम अहल-ए-इश्क़ पे क्यूँ फेंकती है जाल
हम ने तिरे फ़रेब में आना तो है नहीं
वो इश्क़ तो करेगा मगर देख भाल के
'फ़ारिस' वो तेरे जैसा दिवाना तो है नहीं
#Rehman Faris-
घोर कालिमा अंधे तम ने बांटी है
पीर हृदय को हरदम गम ने बांटी है
वो भी हमको शूल सौंप कर चले गए
जिन लोगों को खुशबू हम ने बांटी है।
#अनामिका_अम्बर-
अब बातों को सुनने से डर नहीं लगता,
जो जिस अंदाज़ में सामने आता केशव ,
उसे वही तस्वीर दिखा देता हूं मैं,
कि शब्दों के जाल में आईना सा हो गया हूँ ...-