Inam Jamil  
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Joined 21 April 2017


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Joined 21 April 2017
30 JUN 2017 AT 22:16

वह चाय की चुस्की
वह केतली का भाप
वह टिन का छप्पर
वह बिन मौसम बरसात
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9 MAY 2021 AT 19:57

وہ ستمگر اِدھر نہیں آیا
خواب میں بھی نظر نہیں آیا
वह सितमगर इधर नहीं आया
ख़्वाब में भी नज़र नहीं आया
کون سا میں گناہ کرتا ہوں
کیوں دعا میں اثر نہیں آیا
कौन सा मैं गुनाह करता हूँ
क्यों दुआ़ में असर नहीं आया

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8 MAY 2021 AT 22:56

ابھی یاد مجھکو تَرانَہ وہی ہے
غلط ہی صحیح کَہہ زمانہ وہی ہے
अभी याद मुझको तराना वही है
ग़लत ही सही कह ज़माना वही है।
یہاں ڈھیر تاریخ بدلی گَئ ہے
مِرا تو ابھی تک کھلونا وہی ہے
यहाँ ढ़ेर तारीख़ बदली गई है
मिरा तो अभी तक खिलौना वही है।

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3 MAY 2021 AT 23:43

بیچ اپنے وہ سلسلہ نہ رہا
دیر تک آنکھ میں چھپا نہ رہا

شرط وہ شخص سارے مان گیا
اس میں پھر شرط کے سوا نہ رہا
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बीच अपने वह सिलसिला न रहा
देर तक आँख में छुपा न रहा

शर्त वह शख़्स सारे मान गया
उसमें फिर शर्त के सिवा न रहा

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1 MAY 2021 AT 20:28

मुझे तू हुनर वह सिखा दे
कि हर तिफ़्ल मुझको दुआ दे।

जबीं वह सुनहरी दिखेगी
जिसे वह तिरे दर झुका दे।

गुनाहें किये जा रहा हूँ
मुझे तू यहीं पर सज़ा दे।

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13 APR 2021 AT 20:11

कई रस्ते मिले मेरी रवानी में
विलन हूँ मैं मिरी ख़ुद की कहानी में

नहीं हिम्मत जुटा पाया मिरी जानाँ
मिरा पिन्दार रख दे थूकदानी में

बुढ़ापे में उसे ही याद करना है
यही मैं सोंचता हूँ नौजवानी में

सियासी दोस्त तुझसे क्या ग़िला करना
लगाते हो लगाओ आग पानी में

चमन की सरपरस्ती तुझको सौंपी है
जो चाहे बेच तेरी पासबानी में

मिरे हर फूल खिल कर टूट जाते हैं
नहीं लगता मिरा मन बाग़बानी में

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23 JAN 2021 AT 22:57

وہ جو لوگ مجھ سے محبت کریں گے
مِرے دل کی کیا وہ حفاظت کریں گے

مِری رُوح وہ نوچ لےگا کسی دن
مِرے جسم پر سب عدالت کریں گے
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वो जो लोग मुझसे मुह़ब्बत करेंगे
मिरे दिल की क्या वह ह़िफाज़त करेंगे

मिरी रूह़ वह नोंच लेगा किसी दिन
मिरे जिस्म पर सब अ़दालत करेंगे।

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28 OCT 2020 AT 10:56

وہ کہتا ترا کوئی ثانی نہیں ہے
اسے یاد یہ بات آنی نہیں ہے
वो कहता तिरा कोई सानी नहीं है
उसे याद यह बात आनी नहीं है।

بہت پیڑ کاٹے تو اک شہر نکلے
ہمیں قتل کی کیوں گلانی نہیں ہے
बहुत पेड़ काटे तो इक शहर निकले
हमें क़त्ल की क्यों ग्लानि नहीं है।

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15 OCT 2020 AT 9:51

بہت اچھا جسے سمجھوں نہیں ویسا ترا چہرہ
مگر پھر بھی جھپکتی پلکوں نے مانگا تِرا چہرہ
बहुत अच्छा जिसे समझूं नहीं वैसा तिरा चेहरा
मगर फिर भी झपकती पलकों ने मांगा तिरा चेहरा

کشش کَیسی تِرے چہرے میں کس کا عکس ہے تجھ میں
پھِرے مدہوش ہردم جس نے بھی دیکھا تِرا چہرہ
कशिश कैसी तिरे चेहरे में किसका अ़क्स है तुझमें
फिरे मदहोश हरदम जिसने भी देखा तिरा चेहरा

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17 SEP 2020 AT 17:31


نہیں پوچھتے لوگ میرا پتہ جب سے
مِرے چیخ کر نقش پا بولتے ہیں


नहीं पूछते लोग मेरा पता जब से
मिरे चीख़ कर नक़्श-पा बोलते हैं

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