अंगुली पकड़ी थी जब मैंने,
हर रास्ता आसान हुआ।
जब से अंगुली छोड़ी है आपने,
कदम कदम पे ठोकरें खाईं।
खुद ही संभला,खुद ही उठा,
थामने वाले हाथ ना रहे।
पापा जबसे आप ना रहे।-
Imran Khan Joya
(इंसान)
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Marwari. (Rajasthan)
🎂 - 3 July
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Joined 17 February 2020
AN HOUR AGO
27 APR AT 12:05
गैरों की दुश्मनी का अपनों से बदला लिया।
नफरत के उनके मंसूबों को यूं बढ़ावा दिया।
हँस रहे हैं ये देखकर सरहद पार के दुश्मन,
हमने तो आधा काम किया तुमने पूरा किया।-
26 APR AT 9:05
बातें तेरी दवा है आबे ज़मज़म की तरह।
तू साथ रहना मेरे किसी हमदम की तरह।
महशर की शिद्दत में आबे कौसर की मानिंद,
और लहज़ा तेरा शिफा है क़ुल दम की तरह।-
25 APR AT 19:23
मैं कैसा हूँ और कैसा नहीं हूँ।
आप जैसा सोचें मैं वैसा नहीं हूँ।
मुँह पे तारीफ़ और क़ीना दिल में,
मैं किसी मुनाफ़िक जैसा नहीं हूँ।
तबीअ़त में है मेरे दरगुज़र करना,
किसी जैसे के लिए तैसा नहीं हूँ।
डाल दे तफ़रिके जो लोगों के बीच,
आदमी हूँ मैं कोई पैसा नहीं हूँ।
हादसों में भी अपना मज़हब ढूंढूं,
'इंसान' भी मैं कोई ऐसा नहीं हूँ।-
6 APR AT 17:30
मैं तो आया हूँ कहीं दूसरी दुनिया से,
मुझे बताओ इनमें गुलाब कौनसा है?-