IMRAN KHAN   (| कतरा-ए-स्याही | ™)
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Joined 11 November 2017


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Joined 11 November 2017
28 MAY 2021 AT 23:20

मेरे सुकून का
एक दरिया हो तुम,
डूब सकता हूँ,
हमेशा जिंदा रहने के लिए।

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24 MAY 2021 AT 13:49

चुने जो थे धागे वो कच्चे निकले,
उम्र गुजर रही गांठ बांधते-बांधते।

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21 MAY 2021 AT 16:21

कई किस्से शुरू होते है चाय से
हजारो यादें जुड़ती है चाय के वक़्त पर...
और
जब उलझ जाते है लोग अपने ही सवालो में
उनके कई किस्से सुलझ जाते है चाय पर...

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11 MAY 2021 AT 16:13

जिनके इर्द-गिर्द काफिले होते है,
आप उन्हें अपना अकेलापन
नही समझा सकते।

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8 MAR 2021 AT 18:52

तेरे सिरहाने पर रखी वो चुनरी अच्छी लगती है,मगर
और भी अच्छा होता अगर तू उसका परचम बना लेती।

| विश्व महिला दिन |

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15 DEC 2020 AT 6:14

बड़ा बेखबर सा लगता हूँ मैं खुदको,
तुम मेरी खबर रख लिया करो।

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9 DEC 2020 AT 13:43

बड़ी मजबूतसी नफरत हो गई है हमे,
खूबसूरत चेहरों से,मीठी-मीठी बातों से

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5 DEC 2020 AT 11:07

अपने शिष्य को ऊंची तालीम देकर उससे हारने के बाद,
महसूस होने वाली वो जीत की खुशी अलग ही होती है।

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3 DEC 2020 AT 22:16

रूह से रूह मिलती है क्या देखो,
जिस्म से जिस्म का मिलना
मजबूरी भी हो सकती है।

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3 DEC 2020 AT 8:09

इंसान तो हर घर मे पैदा होते है। मगर,
इंसानियत कहि-कहिपर ही जन्म लेती है।

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