तुमको छोड़ चुका हूं दुश्मनी निभाने के लिए
मैं फिलहाल मशरूफ हूं अपने मुस्तकबिल के लिए
मुझमें खामियां थीं या जो हैं उनको तराश रहा हूं मैं
बड़ा ही बेताब हूं मैं एक बेहतर मुस्तकबिल के लिए
मैं ताल्लुक़ भले कम रखता हूं मगर मिज़ाजी रखता हूं
लोग मिलते ही बहुत कम है मुझे मेरे मुक़ाबिल के लिए
✍️ imran ilahi
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इक दूजे बिना क्या वजूद है हमारा"
(हमसफ़र)
इतना भी ज़हनी नहीं हो तुम अभी
मुझे पढ़ने से क़ासिर हो तुम अभी
अव्वल हो फ़कत तुम फ़रेब में माना
इल्म के मामले में बच्चे हो तुम अभी
ख्यालों को पढ़ना लिखना आता है?
इल्ज़ामतराशी में भी कच्चे हो तुम अभी
जाओ उम्र खर्च करके आओ किताबों में
हां मुकम्मल नाकाबिल हो तुम अभी
मुझे हरा सकते हो बेशक फ़रेब से तुम
मगर इल्म से बेहूदे के बेहूदे हो तुम अभी
✍️ imran ilahi-
के मचने भी दे शोर अपनी बुराई का
सिला मिलता भी कहां है अच्छाई का
लोग देख लेने चाहिए हसब नसब के
मुसाफ़िर हूं कहां ख़ौफ जगहंसाई का
लोग करेंगे कहां तक तय मेरे ग़ुनाह
लोग क्या जाने मतलब आसनाई का
मानो मस्जिदों में घर बना बैठें हैं लोग
फिर भी काम है इनकी वही बुराई का
ज़ाहिल,ज़ालिम स्याह दिल हैं लोगो के
मगर अंज़ाम है बहुत बुरा आताताई का
✍️ imran ilahi-
के दिल हर इक जगह लगाया नहीं जाता
हांमहकमा हर जगह सजाया नहीं जाता
रंग हो गोरा उससे लज़्ज़त हासिल है क्या
हां हर गोरे रंग से दिल लगाया नहीं जाता
मोहब्बत की है तलाश तो मोहब्बत सीख
के मोहब्बत में फ़रेब मिलाया नहीं जाता
करना जिस्म का इस्तेमाल मोहब्बत नहीं
हां मोहब्बत में गुनाह कमाया नहीं जाता
इमरान लिखे क्या तहरीरें नाम ए मोहब्बत
मोहब्बत में झूठा यकीन दिलाया नहीं जाता
✍️ imran ilahi
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के हां मिरा मिजाज़ नहीं मिलता हर किसी से
ख़्याल ही नहीं मिलते ऐरे गेरे से यूं ही मिरे
✍️imran ilahi-
अहमियत सभी को दिया नहीं करते
तुम उक़ाब हो कीमत पहचानो अपनी
✍️ imran ilahi-
अगर तुम शिक्षित होकर भी सही बोलचाल का तरीका नहीं सीख पाए तो यकीन मानिए आपमें या जानवर में कोई फर्क नहीं इसलिए सम्मान देना सीखिए
✍️ imran ilahi-
के फ़ितरतन दग़ाबाज़ होते हैं कुछ लोग यूं
खाते हैं जिस थाली दग़ा देते हैं वहीं अक्सर
✍️ imran ilahi
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दुनिया आपके बारे में क्या सोचती है ये आपका विषय नही है,,
आप वह कार्य कीजिए जो आपको प्रगति दे आपको आपकी मंजिल तक पहुंचाए,,
दुनिया को उनके हाल पर छोड़ दीजिए
जो जैसा डिजर्व करता है उनको वही मिलता है ।
✍️ imran ilahi-
कुछ भी मुश्किल नहीं
कुछ भी नामुमकिन नहीं
अगर आप अपने मकसद के प्रति ईमानदार है तो आपको कामयाबी हासिल करने से कोई नहीं रोक सकता क्योंकि कामयाबी को केवल वक्त ही नहीं चाहिए होता है
कामयाबी के लिए आपकी दृढ़ता,जुनून,हौसला ,एकाग्रता,अध्यात्म ,चित_चिंतन मनन सब चाहिए होता है
इसलिए वक्त के साथ जुट जाएं अपने सपनों को पंख देने के लिए
✍️ imran ilahi-