Imran Husain   (Feeling with Imran)
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Joined 11 September 2021


Joined 11 September 2021
6 JUL AT 18:36

क्यों ना एहसासों को थोड़ा मोड़ दूं
किसी के किए वादों को भी तोड़ दूं
दोस्त मुझ पर शक करने लगे हैं आज कल
सोच रहा हूं इश्क पर लिखना छोड़ दूं

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5 JUL AT 19:38

मुट्ठी भर ही सही
पर
मोहब्बत सभी को है

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5 JUL AT 18:27

मोहब्बत में इबादत होती जरूर हैं
इक दौर के बाद आंखे रोती जरूर हैं
किसी को एक तो किसी को दोतरफा
पर सबको मोहब्बत होती ज़रूर हैं

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4 JUL AT 17:11

कुछ कल पढ़ लिया था कुछ पढ़ा आज है
थोड़ा सा गुस्सा है पर थोड़ी सी लाज हैं
पढ़ने को तो बहुत कुछ पढ़ डाला मैने
पर उन चश्मे वाली आंखों में कुछ तो राज है

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4 JUL AT 16:22

आपकी तारीफ़ करना मेरी मजबूरी नहीं हैं
आप वाकई में काबिल- ए - तारीफ हो

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4 JUL AT 11:31

कहते हैं अच्छे लोगों को देखने से सब अच्छा ही होता है

तो आपके पास मेरी photo है या फिर भेजूँ 🤣

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2 JUL AT 20:03

कैसे पूरी होती आखिर इश्क ए दास्तां

बद्दुआ मुझे किताब में दबे गुलाब की थी

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2 JUL AT 19:48

यूं ही नहीं लिखता हूं मैं
मोहब्बत का फलसफा!

ये दाढ़ी किसी के गालों पर
चुभी थी कभी

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2 JUL AT 19:45

तोड़ के सारे वादे उसने
अपने बाप की इज्जत रख ली,

फिर उस ने साड़ी पहन ली
और हम ने दाड़ी रख ली...!

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2 JUL AT 17:38

बेदाम चीज़ का भी अजब दाम था
फुर्सत नहीं थी मुझे कुछ और काम था
कोसता रहा में उस लड़की की बेवफाई को
क्योंकि पता नहीं मुझे शौहर का नाम था
पापा की इज़्ज़त की खातिर शादी कर ली थी उसने मगर
सुना है मरते वक्त उसके लबों पर सिर्फ इमरान था

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