चाँद, सितारे, रंग, खुशबू, गुलाब, क्या लिखूँ,
मैं सोच रहा हूँ, तेरे ख़त का जवाब क्या लिखूँ।-
सिवा इसके और कोई गिला नहीं,
मेरा लगाया कोई फूल खिला नहीं।
जो मिला हमें उसे चाह नहीं पाए,
जिसे चाहा वो हमको मिला नहीं।-
इक उसे छोड़ के जीने का सहारा क्या था
सब उसी का था मुहब्बत में हमारा क्या था
तुमको होना ही था इक रोज़ किसी का लेकिन
मेरा हो जाने में नुक्सान तुम्हारा क्या था-
मुल्ज़िम कौन है, भला कैसे बताया जाए
बिना क़त्ल खून हुआ, कैसे समझाया जाए
ज़िंदा रहते इधर उधर घूम रहीं कई लाशें
उनके कातिल का पता कैसे लगाया जाए-
वार कायरों सा करके, तू समझा मजबूर करेगा.!?
हिम्मत भारत माता की, यूं हीं चकनाचूर करेगा.!?
कैसे खाली जाती आखिर नारी की चित्कार भला.!?
कल जो वो ना कर पाईं, अब उनका 'सिंदूर' करेगा.!!
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳 जय हिन्द🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳-
रिवाज़ तो नहीं यहां मौत पर जश्न मनाने का मगर,
आज मुल्क की फिजाओं में एहसास सुकून का है.....
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳-
लगने लगा था दिल मगर धीरे धीरे
करने लगे थे हम, प्यार धीरे धीरे
जैसे पता चला कि वो लड़की डॉक्टर है
रहने लगे थे हम, बीमार धीरे धीरे ...-
मुहब्बतों में मिलके ऐसा कोई काम करें,
सारी दुनिया हमारे प्यार को सलाम करे।
मैं तेरे प्रेम में कैलाश पर चला जाऊँ,
तू मेरे इश्क़ में दरगाह का एहतराम करे।
हम मिलें ऐसे जैसे गंगा जमना मिलती है।
उसी तहज़ीब से फिर इश्क़ सरेआम करें।
तेरे मेरे न दरम्यान रहें ये रस्में,
ऐसा अल्लाह सबब बनाए, ऐसा राम करे।-
शीशा और पत्थर संग-संग रहे तो बात नहीं घबराने की …..
शर्त इतनी है बस दोनों जिद ना करें टकराने की ….. !!!-
ख़ुद को तेरी यादों का ग़ुलाम कर दिया
तेरे खातिर ख़ुद को बदनाम कर दिया
और क्या सबूत दूं मै अपनी मोहब्बत का
एक दिल था वो भी तेरे नाम कर दिया-