Imran Haiedar  
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Joined 5 April 2020


Joined 5 April 2020
6 JUN 2023 AT 9:40

तुम कितने ही ज़हरीले क्यूं ना हो जाओ.
मगर हमारा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकते हो तुम.
क्यूंकि हमनें तुमसे भी दस गुना ज़्यादा ज़हरीले लोगों का ज़हर मुस्कुरा कर बर्दाश्त किया है.

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6 JUN 2023 AT 9:30

जिन कामों को करने से रब ने मना किया है.
उन कामों को कर लेने में लज्जत तो बहुत मिलती है.
मगर रूह को सुकून और दिल को इत्मीनान हरगिज़ नहीं मिलता है.

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29 MAY 2023 AT 14:26

कुछ बचे या ना बचे लेकिन अपनी सही सोचने की समझ को हम कभी मिटने नहीं देंगे.
हम भले ही गिर जाएं किसी ऊंचे मुकाम से.
लेकिन अपने उसूलों की बुलंद मीनार को हम कभी गिरने नहीं देंगे.

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28 MAY 2023 AT 1:30

जो गलती बार बार दोहराई जाए.
वो फिर गलती नहीं रहती.लत बन जाती है.
ना चाहते हुए भी इंसान जिसे दोहराता जाता है.
ये लत ऐसी आदत बन जातीं हैं.

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27 MAY 2023 AT 10:48

मुहब्बत के मामले में बड़े बदकिस्मत रहे हैं हम.
जब जब भी शमा ए मुहब्बत जलाया हमनें.
तब तब ही इस शमा ए मुहब्बत से अपने वजूद को जला बैठे हैं हम.

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25 MAY 2023 AT 0:28

इंसान अपनी कामयाबी तो सबको दिखाना चाहता है.
लेकिन अगर नाकामी हो जाए तो वो उसे ख़ुद भी नहीं देखना चाहता है.

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23 MAY 2023 AT 23:48

जिसकी मुहब्बत में हमनें डुबा दिया ख़ुद को आंसुओं के सैलाब में.
उसकी आंखों से वफ़ा की दो बूंद भी ना बरसी हमारे लिए.

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23 MAY 2023 AT 23:43

हम अज़ल से गलत नहीं थे.
बस गलत को सही जान बैठे थे.
जो ज़रा सा भी नहीं था मेरा.
उसे ही दिल ओ जान मान बैठे थे.

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21 MAY 2023 AT 0:51

कुछ बचा लेनें की जद्दोजहद थी.
मगर अब सब कुछ खो गया है.
क़त्ल करके मासूम चाहतों का.
दिल को बड़ा सुकून हो गया है.
माना के हम गलत थे और यकीनन गलत थे.
पर चलो गनीमत है की खुद के गलत होनें का अब हमें इल्म तो हो गया है.

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20 MAY 2023 AT 0:47

ख़ुद से लड़ने और ख़ुद को समझाने में ही उलझ कर रह गया हुँ मैं.
दूसरों की नज़र में अपनी अहमियत जानने का वक़्त ही नहीं है मेरे पास.
अपने ही वजूद के इर्द गिर्द सिमट कर रह गया हुँ मैं.
किसी और के दिल में जगह बनाने की फुरसत ही नहीं हैं मेरे पास.

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