तुम कितने ही ज़हरीले क्यूं ना हो जाओ.
मगर हमारा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकते हो तुम.
क्यूंकि हमनें तुमसे भी दस गुना ज़्यादा ज़हरीले लोगों का ज़हर मुस्कुरा कर बर्दाश्त किया है.-
जिन कामों को करने से रब ने मना किया है.
उन कामों को कर लेने में लज्जत तो बहुत मिलती है.
मगर रूह को सुकून और दिल को इत्मीनान हरगिज़ नहीं मिलता है.-
कुछ बचे या ना बचे लेकिन अपनी सही सोचने की समझ को हम कभी मिटने नहीं देंगे.
हम भले ही गिर जाएं किसी ऊंचे मुकाम से.
लेकिन अपने उसूलों की बुलंद मीनार को हम कभी गिरने नहीं देंगे.-
जो गलती बार बार दोहराई जाए.
वो फिर गलती नहीं रहती.लत बन जाती है.
ना चाहते हुए भी इंसान जिसे दोहराता जाता है.
ये लत ऐसी आदत बन जातीं हैं.-
मुहब्बत के मामले में बड़े बदकिस्मत रहे हैं हम.
जब जब भी शमा ए मुहब्बत जलाया हमनें.
तब तब ही इस शमा ए मुहब्बत से अपने वजूद को जला बैठे हैं हम.-
इंसान अपनी कामयाबी तो सबको दिखाना चाहता है.
लेकिन अगर नाकामी हो जाए तो वो उसे ख़ुद भी नहीं देखना चाहता है.-
जिसकी मुहब्बत में हमनें डुबा दिया ख़ुद को आंसुओं के सैलाब में.
उसकी आंखों से वफ़ा की दो बूंद भी ना बरसी हमारे लिए.-
हम अज़ल से गलत नहीं थे.
बस गलत को सही जान बैठे थे.
जो ज़रा सा भी नहीं था मेरा.
उसे ही दिल ओ जान मान बैठे थे.-
कुछ बचा लेनें की जद्दोजहद थी.
मगर अब सब कुछ खो गया है.
क़त्ल करके मासूम चाहतों का.
दिल को बड़ा सुकून हो गया है.
माना के हम गलत थे और यकीनन गलत थे.
पर चलो गनीमत है की खुद के गलत होनें का अब हमें इल्म तो हो गया है.-
ख़ुद से लड़ने और ख़ुद को समझाने में ही उलझ कर रह गया हुँ मैं.
दूसरों की नज़र में अपनी अहमियत जानने का वक़्त ही नहीं है मेरे पास.
अपने ही वजूद के इर्द गिर्द सिमट कर रह गया हुँ मैं.
किसी और के दिल में जगह बनाने की फुरसत ही नहीं हैं मेरे पास.-