imdiggu_15   (Digvijay Samant)
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Joined 25 July 2018


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Joined 25 July 2018
10 JUL 2023 AT 23:18

मन्नत में मैने ख़ुदा से कुछ अज़ीज़ मांगा है,
चांद का टुकड़ा अपने लकीरों में चाहा है ।

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7 JAN 2022 AT 17:34

ज़िक्र जो हुआ आपका,
तो गमों का समंदर बहा देंगे।
हम मुसाफ़िर थे किसी बेनाम सी कश्ती के...
अश्रुओं और जुदाई के संलग्न फासलों से,
हम आपके होने का यक़ीन ज़िंदगी को दिला देंगे।

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8 JAN 2021 AT 12:38

मिलो कभी तो बताएं, ज़ेहन में क्या छुपाए रखा था
आंखों में सपने थे और पलकों पे बेताबी था।

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29 AUG 2020 AT 11:49

एक ज़िन्दगी तेरे नाम कर दिया,
मोहल्ले में अपना नाम बदनाम कर लिया।

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27 AUG 2020 AT 1:51

चलो उससे एक सवाल करते है
बारात में उसके बवाल करते है

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22 AUG 2020 AT 23:40

एक ख़्वाब है जो शायद अधूरा रह जाए
कुदरत का करिश्मा ही इसे पूरा कर जाए

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31 JUL 2020 AT 11:21

मेरी झुकी नज़र कुछ कह रही हैं।
मान जाओ ना, ये आंखें अभी भी तुम पे ही मर रही हैं।

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27 JUL 2020 AT 12:12

महलों का मै निवासी था,
पर पिंजरों में मैने वक़्त बिताया है।
लोग क्या जानेंगे मेरे सबब दर्द का,
मैंने हर रात मौत को अपने करीब बुलाया है।

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26 JUL 2020 AT 11:12

One who is capable to control his/her emotion
will definitely win over any situation.

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25 JUL 2020 AT 11:05

ये इश्क़ नहीं इबादत है।
तू कोई ख़ुदा नहीं,बस ख़ुदा की एक मामूली सी करामात है।

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