ख़ुदा की क़ुदरत को समझने
के लिए इतना ही काफी है
कि दुनिया की कोई दो चीज़े भी
ऐसी नहीं हैं जो मुक़म्मल तौर
पर मुशाबेहत रखती हों....-
Doctor ,,,,,writer,,,shayer,,,
मुफ़्लिसी के अँधेरों से "इलियास" क्य... read more
इल्म से हिस और हिस से हरकत है
और हरकत है अदम का वजूद में आना
सो गर आप अपना वजूद बाक़ी रखना चाहते हैं
तो इल्म हासिल करें....-
कौन हो तुम आख़िर कहाँ से आए हो
यह बला सी आँखें कहाँ से लाए हो
तुम्हें इल्म ही नहीं है अपने मयार का
सरापा ज़िस्म का रूह के वक़ार का
यह शहर यह कॉलेज यह किताबें
फ़क़त तुमसे मिलाने की साज़िशें हैं
नहीं मानते ना सही,ज़रा यह तो सोचो
मेरी तरह आख़िर तुम यहीं क्यूँ आये हो
कौन हो तुम आख़िर कहाँ से आए हो
जिस्मों का नूर बाकी रहे बस दिलों का सौदा हो जाए
क्या हम में यह मुमकिन है कि कुछ ऐसा हो जाए-
होते हैं कई चहरे तहरीक के क़ाबिल
तस्कीन-ए-दिल के क़ाबिल हर चहरा नहीं होता-
यह बस सफर है जहाँ मैं हूं तुम हो
मुसाफ़िर रास्तों में रुका नहीं करते
तुम रूह थे वही आख़िर है तुम्हारा
मुहाजिर जिस्मो में रहा नही करते
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सबसे बड़ी जंग भी इतनी बड़ी नहीं
जितनी बड़ी जंग है अपने आप से
ज़माने को जीतने की बस यही शर्त है
ख़ुद को जीतिए पहले अपने आप से-