ये प्यार का रास्ता आसान क्यों नहीं हो जाता ए दिल तू फिर से नादान क्यों नहीं हो जाता प्यार ही काफ़ी है ज़िंदगी में, सोचती थी कभी एक बार फिर से हमें, ये यक़ीन क्यों नहीं हो जाता
कभी कोमल कभी कठोर था गाँव की मिट्टी शहर की आबों हवा का मेलजोल था बहुत अनोखा था मेरी दादी का प्यार गुणा भाग जोड़ घटाना पक्का हिसाब पर बेहिसाब था दादी का प्यार