Ila Joshi   (इला जोशी)
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Joined 6 April 2019


Joined 6 April 2019
18 AUG 2024 AT 3:43

वो क्या है बोलो जो ढूंढती है ये नज़रे
कि घोर आने को है और कुछ दिखता ही नही,
क्या है पाना कि जो इतना सब मे अभी भी कहीं कुछ और दिखता ही नही

ऐसा भी क्या गुम है, ये खजाना खपा दिये है
इतना क्यों ही चल लिए है, कि पीछे के रास्ते मिटा दिये है
क्या खोया क्या पाया, ना जाने किन हिसाब-किताब में एक अरसा बिता दिये है

फिर भी मंजिल की दास्तान लिये, आँखो मे एक हल्की सी उम्मीद लिए
वो क्या है बोलो जो ढूंढती है ये नज़रे
कि घोर आने को है और कुछ दिखता ही नही,




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20 DEC 2023 AT 2:52

कब तक, कहाँ तक चला जाए ऐ जिंदगी
पूछो की और कितना डरा जाए ऐ जिंदगी

जब तक जहाँ तक चल पाये रे मुसाफिर
मुश्किल है किन्तु मुमकिन है, काहे इतना तू घबराये रे मुसाफिर

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28 OCT 2023 AT 17:19

बरसो बाद कलम को स्याही की याद आई है
पुरानी यादे फिर से दरवाजे पे दस्तख लाई है
वक्त वैसे तो दौडता चला जा रहा है
हर जानने वाला हर एक दौड का हिस्सा नजर आ रहा है
जिंदगी भी थोडी तंग है
आज कम है, कल दिन और भी कम है
कभी फुर्सत मे आए तो लौट जाते है यादो मे
पिछे छूटे दोस्तो, रस्ते, बस्ते और किताबो मे
बस यही जो किस्से है,
जो बराबर सबके हिस्से है
माना जिंदगी नही है अब इन विराम बिन्दुओ मे
मगर उम्मीद जरूर छूपी है उन बीते लम्हों मे
कि जो हुआ अभी तक अच्छा ही था
जो हो रहा है वो भी अच्छा ही है
और जो होगा वो भी अच्छा ही होगा



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16 JUL 2023 AT 17:34

पुरानी तस्वीरे भी कमाल करती है
बस एक नजर में बीते कल का हाल दे देती हैं
कितना मुश्किल है सफर मे 
पलट के हर रास्ते को सटीक रखना
ये तस्वीरे खुद मे हर जुबान कैद किये बैठी है
मानो अभी कल की ही बात थी,
अरसा हुआ है वो बीते जमाना
मगर तस्वीरो मे हवाए अभी भी वही की बहती है
वक्त जितना आगे बढ़ रहा है, पिछले जमाने से उतना फासला बढ़ रहा है
आसन है क्या चेहरे पे आती मुस्कुराहट को तस्वीरों की खिलखिलाहट मे ढूंढना
ये तसवीरें भी कमाल करती हैं
कुछ न कहे बिना भी कितना कुछ कह देती है

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25 MAY 2023 AT 8:10

जाम  मे डूबे है कुछ काम मे डूबे है
दुनिया मे जीने वालो के समंदर अनोखे है
कहीं मज़हबी बातो की लहरे है
कहीं राजनीति की नौकाएं तैरी है

कुछो मे सोशल मीडिया का शोर है
पैसो की नौकाओं मे हर किसी की दौङ है
कहो फिर क्या जीने को चाहिये
एक समंदर मे गहरा पानी चाहिए,
जीना को एक नौका चाहिए
उसे चलाने वाला तैराक चाहिए
पूछो फिर जीने को और क्या चाहिये
थोडा सा सुकून चाहिए
डूब जाने को एक समंदर चाहिए

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6 NOV 2022 AT 22:07

And the truth is-
What leaves behind
Hurt your mind!!

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23 AUG 2022 AT 4:23

And just like that so many stars broke
Never found, never seen
Nobody wished them to be together again in the sky
B'cause it's not about the shinning stars but the glittering sky,
Stars comes and goes, sky is the one smiles and cries

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3 MAY 2022 AT 19:06

न जाने कौन सी दौड का हिस्सा है हम,
न जीत मे शामिल है
न हारे से लगते है

खुशी की उम्मीद बहुत है,
मगर  नजर बचाने के लिये,
दुखी बगीयारे मे लटकते है

सुकून कि उम्मीद तो है
मिले कैसे, हर गली चौबारे मे कोहराम मचा रखे है
समाज के लोग ही समाज से डरे बैठे है

उम्मीद है कि सब परिपक्व सा हो
खुद कई गुनाह दबाए बैठे है

अब का जमाना खराब कहने वाले
खुद जुबान ललचाए बैठे है
समाज के लोग ही समाज से डरे बैठे







      

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20 FEB 2022 AT 18:48

बेमिसाल दुनिया मे समझदार बहुत है
मगर मर्ज है कि नासमझी की भी सफाई दिए जा रहे है

चाय पे चर्चा मे सवाल बहुत है
जवाबो मे सबके सिर हिलाए जा रहे है

खबर है कि वक्त ठहरता नही यहां
समझते है मगर बेसमझ हुए जा रहे है

अजीब  है जहां या अजीब हुए जा रहे है
वफा की उम्मीद मे, खुद ही से बेवफाई किए जा रहे है

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8 FEB 2022 AT 4:55

इतना भटक चुका हू इन ख्वाबो के शहर मे,
अब यादो का मोहल्ला सदियो पुराना लगता है
जिंदगी की रफ्तार कुछ इस तरह बढ चली है
कि पिछला वर्ष ही गुजरा जमाना लगता है

हर आज को मै कल मे कैद किए जा रहा हूं
कुछ नही बस तस्वीरो के ढेर किये जा रहा हूं
इस दौर मे हू कि हार जीत समान दिखाई पड़ती है
इतना जान के दुनिया को, अनजान हुए जा रहा हूं
कशमकश के इस सफर मे सोचता हूं कि वापस लौटने के बहाने ढूंढ लू, मगर हर ढोकर मे खुद को निखरता पा रहा हूं

इतना भटक चुका हू इन ख्वाबो के शहर मे,
अब भटकते रहना ही रोजी कमाना लगता है— % &

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