हमेशा रूठ कर बैठ जाती हैं वह मुझ में कहीं| हमेशा जो मैं उसकी बात मानता नहीं|| और जानते हैं मनाने में थोड़े कच्चे पड़ जाएंगे| पर वह जितना गुस्सा हो जाए हमने हमेशा मनाएंगे
वजह क्यों बनू मैं तेरी आंखों की नमी की | जब तेरे होठों की मुस्कुराहट बनना मुझे अच्छा लगता है| और इन सब में जो थोड़ा सा तुम्हारा दिल मैं दुखाता हूं| बस फिर अपने आपको कोसता ही जाता हूं| क्योंकि अपने सबसे खास को मैंने गलती से आंसुओं में भिगोया है| पर तुम से ज्यादा मेरी जान तुम्हारे आशिक फूट-फूट कर रोया है||
जितना आंख भर कर देख ले उन्हें| दूर जाने पर दिल को शिकायत हो ही जाती है|| और जब बैठे वह साथ चंद लम्हों के लिए , नाचीज से कोई ना कोई फरमाइश हो ही जाती है||
उनके ख्याल में जगना भी मंजूर हो जाता है| उन्हें सोचने सा मजा , नींद में कहां आता है|| पर अभी उनके इकरार का इंतजार रह जाता है| लेकिन उन पर तब भी हमें बेशुमार प्यार आता है||
जिनके साथ कभी वक्त का पता नहीं चलता था| अब उनसे एक बार बात करने का वक्त नहीं होता है|| क्या अजब खेल है वक्त का, दिल के सबसे ज्यादा पास हम से सबसे ज्यादा दूर होता है||