अनजान सफ़र में मिला वो शख्स,अपने अज्म मुस्तहकम रखता है।साफ़ नेक दिल बंदा वो अपने किरदार में सादगी रखता है।ढूंढते ढूंढते मुखोटों से फरागत हमारा रिश्ता बनता है।कोई और नही वो मेरा सबसे करीबी अहबाब हैं जो मेरे हर अच्छे बुरे में साथ मिलता हैं।। -
अनजान सफ़र में मिला वो शख्स,अपने अज्म मुस्तहकम रखता है।साफ़ नेक दिल बंदा वो अपने किरदार में सादगी रखता है।ढूंढते ढूंढते मुखोटों से फरागत हमारा रिश्ता बनता है।कोई और नही वो मेरा सबसे करीबी अहबाब हैं जो मेरे हर अच्छे बुरे में साथ मिलता हैं।।
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एक शक्स के वियोग ने,मुझे कुछ इस कदर खोखला कर दिया।हंसी, खुशी, हर्ष, उल्हास,कोशिश,ज़िद, जनून,जीत,उत्साह, उम्मीद, सुख, चैन, सुकून,,,,सब छूट गया ।।।। -
एक शक्स के वियोग ने,मुझे कुछ इस कदर खोखला कर दिया।हंसी, खुशी, हर्ष, उल्हास,कोशिश,ज़िद, जनून,जीत,उत्साह, उम्मीद, सुख, चैन, सुकून,,,,सब छूट गया ।।।।
के लिया था जब जन्म तने सबते पहला उस बाप ने छाती के लाई थी।जताया ना कदै प्यार अपना पर तू सबते फालतू उसने चाही थी।ना पावे कदै दुःख मेरे ज्यों न्यू करके उस मां ने स्कूल में खनदाई थी।खुद काटी सारी उम्र गरीबी में पर एक एक पाई जोड़ के तेरी सारी रीझ पुगाई थी।के बेरा था तू इसा कर जागीधरी जो पगड़ी बाबू ने तारतू उसकी लाज राखन ते मुकर जागी।होवेगी पंचायत गाम में अर तू ठाकै एक गलत कदम इनकी इज़्ज़त के बट्टा मल जागी।के बेरा था तू इसा कर जागी।। -
के लिया था जब जन्म तने सबते पहला उस बाप ने छाती के लाई थी।जताया ना कदै प्यार अपना पर तू सबते फालतू उसने चाही थी।ना पावे कदै दुःख मेरे ज्यों न्यू करके उस मां ने स्कूल में खनदाई थी।खुद काटी सारी उम्र गरीबी में पर एक एक पाई जोड़ के तेरी सारी रीझ पुगाई थी।के बेरा था तू इसा कर जागीधरी जो पगड़ी बाबू ने तारतू उसकी लाज राखन ते मुकर जागी।होवेगी पंचायत गाम में अर तू ठाकै एक गलत कदम इनकी इज़्ज़त के बट्टा मल जागी।के बेरा था तू इसा कर जागी।।
मजबूरी करके जाऊ हूंछुड़ा हाथ बीच रास्ते में,तू बेवफ़ा का दाग़ लावेगा के।चाहया करता जुकर मनैमेरे जाया पीछे न्यू और किसे ने चाहवेगा के।मैं तो होई शरीर ते किसे ओर की,तू बता रूह ते भी तेरे होण आली ने चाहवेगा के। अर धर दूंगी नाम मेरे छोरे का तेरे नाम पे,इब तू बता अपनी छोरी ने मेरे नाम ते बुलावेगा के।अर या निशानी प्यार की बचावेगा के।। -
मजबूरी करके जाऊ हूंछुड़ा हाथ बीच रास्ते में,तू बेवफ़ा का दाग़ लावेगा के।चाहया करता जुकर मनैमेरे जाया पीछे न्यू और किसे ने चाहवेगा के।मैं तो होई शरीर ते किसे ओर की,तू बता रूह ते भी तेरे होण आली ने चाहवेगा के। अर धर दूंगी नाम मेरे छोरे का तेरे नाम पे,इब तू बता अपनी छोरी ने मेरे नाम ते बुलावेगा के।अर या निशानी प्यार की बचावेगा के।।
एक रात थे तुम,जीतने क़रीब मेरे।आज उतने ही,दूर बैठे हो ।तुम्हारे फ़िराक में कर लिया,मैंने अपना हुलिया ख़राब।और एक तुम हो जो,गैर की बाहों में मशरूफ बैठे हो।। -
एक रात थे तुम,जीतने क़रीब मेरे।आज उतने ही,दूर बैठे हो ।तुम्हारे फ़िराक में कर लिया,मैंने अपना हुलिया ख़राब।और एक तुम हो जो,गैर की बाहों में मशरूफ बैठे हो।।
दिल से पूछोक्या राज़ दबाए बैठा है,अंदर अपने कितनी हकीकतदबाए बैठा है।कभी अपनो के दिए धोखे तो कभी महबूब के दिए ज़ख्म,खाए बैठा है।लिखना तो चाहता है बहुत कुछमगर अंदर अपने लफ्जों को,दफनाए बैठा है।। -
दिल से पूछोक्या राज़ दबाए बैठा है,अंदर अपने कितनी हकीकतदबाए बैठा है।कभी अपनो के दिए धोखे तो कभी महबूब के दिए ज़ख्म,खाए बैठा है।लिखना तो चाहता है बहुत कुछमगर अंदर अपने लफ्जों को,दफनाए बैठा है।।
छोटी सी जिंदगी को जीना सीखते हैं,क्यों ही लड़ना झगड़नाचलो माफ़ करना सीखते हैं।बट्ट गए मज़हब,बट्ट गए धर्म,बट्ट गई जात,चलो हम मिलकर इंसानियत ढूंढते हैं।आज जी रहे हैं,पैसे की बू में,चलो कल से खुशियां ढूंढते हैं ।छोटी सी जिंदगी को जीना सीखते है।। -
छोटी सी जिंदगी को जीना सीखते हैं,क्यों ही लड़ना झगड़नाचलो माफ़ करना सीखते हैं।बट्ट गए मज़हब,बट्ट गए धर्म,बट्ट गई जात,चलो हम मिलकर इंसानियत ढूंढते हैं।आज जी रहे हैं,पैसे की बू में,चलो कल से खुशियां ढूंढते हैं ।छोटी सी जिंदगी को जीना सीखते है।।
सुना है तू सब अच्छा करता है,फिर क्यों मोहब्बत अधूरी लिखता है।जो था ही नहीं मेरी नसीब में ,क्यों उसे इतना जरूरी करता है ।ए खुदा बस इतना बता,क्यों मोहब्बत अधूरी लिखता है।। -
सुना है तू सब अच्छा करता है,फिर क्यों मोहब्बत अधूरी लिखता है।जो था ही नहीं मेरी नसीब में ,क्यों उसे इतना जरूरी करता है ।ए खुदा बस इतना बता,क्यों मोहब्बत अधूरी लिखता है।।
मोहब्ब्त की राहों में,कुछ इस कदर समझोते का जिक्र आ गया।दिल की खता हुई और,घाटे का सौदा मेरे हक़ में आ गया।दुआ मैंने भी की उसे अपना बनाने की,मगर वो किसी और की दुआ के हक़ में आ गया।दिल की खता हुई और,घाटे का सौदा मेरे हक़ में आ गया।मैंने चाहा जिस दिलनशी को,उसपर किसी और की चाहतों का पहरा आ गया।मोहब्बत की राहों में,कुछ इस कदर समझोते का जिक्र आ गया।। -
मोहब्ब्त की राहों में,कुछ इस कदर समझोते का जिक्र आ गया।दिल की खता हुई और,घाटे का सौदा मेरे हक़ में आ गया।दुआ मैंने भी की उसे अपना बनाने की,मगर वो किसी और की दुआ के हक़ में आ गया।दिल की खता हुई और,घाटे का सौदा मेरे हक़ में आ गया।मैंने चाहा जिस दिलनशी को,उसपर किसी और की चाहतों का पहरा आ गया।मोहब्बत की राहों में,कुछ इस कदर समझोते का जिक्र आ गया।।
चांद से बाते होती थी जब तुम पास नहीं थे।सपनों में मुलाक़ात होती थी जबतुम पास नहीं थे।तेरे दीदार को तरसती थी आखें जब,तुम पास नहीं थे।तेरे होठों की छुअन कोमहसूस करते थे गाल मेरे जबतुम पास नहीं थे ।खो गया था तेरी गरमहाट बाहों का सुकुन जब ,तुम पास नहीं थे।बस तेरी यादों का पिटारा था साथ मेरे जबतुम पास नहीं थे।। -
चांद से बाते होती थी जब तुम पास नहीं थे।सपनों में मुलाक़ात होती थी जबतुम पास नहीं थे।तेरे दीदार को तरसती थी आखें जब,तुम पास नहीं थे।तेरे होठों की छुअन कोमहसूस करते थे गाल मेरे जबतुम पास नहीं थे ।खो गया था तेरी गरमहाट बाहों का सुकुन जब ,तुम पास नहीं थे।बस तेरी यादों का पिटारा था साथ मेरे जबतुम पास नहीं थे।।