मैं अपने रब से मोहब्बत, ऐसे भी निभाती हूं
पहले उसे मनाती हूं, फिर अपनी मनवाती हूं
میں اپنے رب سے محبّت ایسے بھی نبھاتی ہوں
پہلے اُسے مناتی ہوں، فر اپنی منواتی ہوں-
खुश क़िस्मत हूं , इस्लाह का मौका पाया है
मुबारक हो ऐ ईमान वालो रमज़ान आया है
خوش قسمت ہوں اصلاح کا موقع پایا ہے
مبارک ہو اے ایمان والو رمزان آیا ہے-
अंधेरे कि आड़ में बेरोनक शय फरोज़ां
आज भी ज़ख्म पुराने और टीसें ताज़ा
اندھیرے کی آڑ میں برونک شے فروزاں
آج بھی زخم پرانے اور ٹیسیں تازہ-
वक्त कि बे रहमी से, उस वक्त गुज़रना पड़ा
जब आंखों में, समंदर लेकर मुस्कुराना पड़ा
وقت کی بےرہمی سے اس وقت گزارنا پڑا
جب آنکھوں میں سمندر لیکر مسکرانا پڑا
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कमज़ोर समझ कर डरा सकोगे ये लानत भरी हरकत है
ज़ुल्मी ओ ज़ुल्म पर भारी इंकलाब कि आवाज़ फक़त है
मत आज़माओ बिंत-ए-हव्वा को ए नादान ओ न समझ
ये हिजाब तो उनके पंख, उनका गुरूर, उनकी ताक़त है — % &-
आब ए रवा को, किसी रहनुमा की हसरत नहीं होती
ईमान पक्का हो, तो बॉडीगार्ड कि ज़रूरत नहीं होती
آب و روا کو، کیسی رہنما کی حسرت نہیں ہوتی
ایمان پکّا ہو، تو باڈی گارڈ کی ضرورت نہیں ہوتی
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सुनो इस मिट्टी कि नमी में मेरे अहबाब का लहू शामिल है
मुझे इश्क़ है अपने वतन से, और मेरी मोहब्बत कामिल है
سنو اس مٹی کی نمی میں میرے احباب کا لہو شامل ہے
مجھے عشق ہے اپنے وطن سے، اور میری محبت کامل ہے — % &-
हर नफ्स कि बेतकल्लुफ़ी रही इन आनी जानी खिज़ाओं पर
क्या तूफ़ा ओ बारिश? पेट भारी पड़ ही गया सर्द हवाओं पर
ہر نفس کی بےتکلفی رہی ان آني جانی خذاؤ پر
کیا طوفاں و بارش؟ پیٹ بھاری پڑ ہی گیا سرد ہواؤں پر
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वो "घर" कैसे "आबाद" ना होता
जहां मुसल्ले पर माँ के आंसू गिरे
وہ "گھر" کیسے " آباد" نہ ہوتا
جہاں مصلے پر ماں کے آنسو گرے-