Idhitree   (Idhitree)
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Joined 23 May 2025


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4 HOURS AGO

"वो अपने थे, तभी तो असर गहरा हुआ,
गैर होते तो शायद दिल इतना ना टूटा होता।
उनकी हर बात में अब ताना है,
पर क्या करें — मोहब्बत अभी भी वक़्त से ज़्यादा पुरानी है।"

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5 HOURS AGO

"तेरा ज़हर मेरी हँसी न छीन पाएगा,
तू जलेगा हर रोज़,
मैं फिर भी खिलखिलाऊँगी बेफिक्री से।"

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YESTERDAY AT 7:13

फिजा की चाल में मत
फसना ऐ दीवाने,
ये तो इश्क़ का खुमार है —
जो सिर्फ़ टूटकर ही उतरता है।
—idhitree

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YESTERDAY AT 6:56

रात क्यों इतनी खामोश होती है?
शायद इसलिए,
क्योंकि वो खुद में समेटे रहती है
कितने ही अधूरे ख्वाब,
और अनकहे ग़मों की परछाइयाँ।
वो चुपचाप चलती है साथ किसी की तन्हाई के,
कभी आँसुओं की स्याही में भीगती है,
तो कभी मुस्कानों की हल्की सी परछाईं में झूम उठती है।
जो दिन में ना मिला —
उसे पाने का हौसला,
रात अक्सर दिखा जाती है ख्वाब बनकर।
शोर तो दिन का हिस्सा है,
पर सच्ची बातें…
अक्सर खामोश रातें ही कह जाती हैं।

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YESTERDAY AT 6:43

"फिर से चल पड़ी हूं मैं"
कुछ दिन थे सन्नाटे जैसे,
न खुद से बात हुई, न ख्वाबों से।
हर सुबह बोझ सी लगती थी,
और रातें बस उलझनों में बीतती थीं।
मन थक गया था चुपचाप सहते-सहते,
सोचा था — क्या फिर कभी रास्ता मिलेगा?
निराशा ने जैसे बाँध लिया था,
एक अजीब सी जंजीर में।
मगर आज...
एक छोटी सी सुबह आई,
हवा ने ज़रा सा हौसला फुसफुसाया,
और दिल ने धीमे से कहा —
"चलो, फिर से कोशिश करते हैं।
हाँ, बहुत बड़कुछ नहीं किया,
पर किताबें खोलीं, कुछ पन्ने पलटे।
ख़ुद से वादा किया —
थोड़ा-थोड़ा हर रोज़ आगे बढ़ूंगी।
आज दिल को अच्छा लग रहा है,
शायद क्योंकि मैंने खुद को सुना है,
क्योंकि डरते हुए भी —
फिर से चल पड़ी हूं मैं।

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YESTERDAY AT 6:31

"कहते हैं ना —
मन की बातें मन ही जाने,
कभी ना लगे उसका अंत रे,
ग़मों की बात छोड़ो,
खुशियों में भी आँखें नम रहें।"

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19 JUN AT 7:40

कुछ ऐसा टूटा था,
कि फिर कभी पूरा न हो सका।
तुम कभी ऐसे टूटे हो क्या?
जहाँ रोना भी चुपचाप होता है,
और मुस्कान में दर्द छुपाना पड़ता है।

टूटे ख्वाबों को सीने से लगाना,
हर आहट में खुद को खो देना,
इसे ही कहते हैं —
बिना आवाज़ के बिखर जाना।

सबसे गहरा दर्द तो तब होता है,
जब कोई समझ ही न पाए,
कि तुम अंदर से कितने टूट चुके हो,
और फिर भी
बिना आवाज़ के बिखरते जाते हो...

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18 JUN AT 13:06

"थोड़ी सी थकान है, पर हार नहीं मानी।
ये जंग मेरी है… और जीत भी मेरी ही होगी।"

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17 JUN AT 7:39

"कभी-कभी खुद को माफ़ करना भी इबादत होती है,
क्योंकि जो दिल सच्चा होता है — वो देर से सही, पर संभल ज़रूर जाता है।"

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17 JUN AT 7:32

कुछ बातें हैं जो सीने में रह जाती हैं,
पर दिल उन्हें बोझ बनने नहीं देता।
क्योंकि जीना सीख लिया है हमने —
हर दर्द को मुस्कान में छुपा कर। 🤍

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