🥰🍫🎂 "Happy Birthday Jijji..." 🎂🍫🥰
"बेहतरीन, बेमिसाल सा
आपने इस रिश्ते को नाम दिया ।
इस YQ की नगरी में आपने
क्या ख़ूब ही मुझे इक ईनाम दिया ।।
कर रहा हूँ दो-चार लफ्ज़ अपने फ़ना,
ख़िदमत में आपकी अग्रजा,
कि- हुआ शुक्रगुज़ार ये "शाश्वत"
जो आपने मुझे एहतराम दिया ।।
यूँ तो आती नहीं है मुझे
इन नज़्म-ओ-ग़ज़लों की A.. B.. C.. D...
पर आपने मुझे "शब्दों के जादूगर" सा
इक अनोखा नाम दिया ।।
है माफ़िक़ नाम की,
मन की देवी सी पाक़ीज़ा शख़्सियत आपकी,
करूँ क्या तारीफ़,
जब आपने ही कर फ़ितरत को सरेआम दिया ।।
है अब गुज़ारिश विधना से,
हर खुशी नवाज़े वो आपको म्हारी जिज्जी,
कि- लो, आज के दिन मैंने भी हवाले
कर आपके ये क़लाम दिया ।।"
✍️- Vishaal "Shashwat..."-
✒️ "...'आबिद-ए-क़लम..." ✒️
हमार टेस्टी दिवस -: 21 November.... read more
'अता कर दे अब ज़रा सी ख़ुदाई मेरे हिस्से भी ऐ ख़ुदा...
कि- तेरे रोज़ नए इम्तिहान मुझे अब काफ़िर बना रहे हैं ।।"
✍️- Vishaal "Shashwat..."-
"मैं अगर मुक़म्मल ख़त्म हो जाऊँ तो यहाँ क्या ग़म होगा ।
महज़ इक मेरे ना होने से भला यहाँ क्या कुछ कम होगा ।।
दर्द, अश्क़, गुज़ारिश, गिले सब कुछ तो ज़ाया है "शाश्वत.."
कि- अब लिबास-ए-आख़िरत ही आख़िरी मरहम होगा ।।"
✍️- Vishaal "Shashwat..."-
"कभी-कभी ये खामोशियाँ भी ना जाने कितनी ही गुफ़्तुगू करतीं हैं ।
समझ लें वो इन्हें ख़ामोशी से ही, ये आँखें भी कैसी जुस्तुज़ू करतीं हैं ।।
समेट के सारे जज़्बात-ओ-अल्फ़ाज़ तन्हा ही भटक चला है "शाश्वत.."
कि-मरना ही वाज़िब,ये ज़िन्दगी भी तो हमें लाश के हू-ब-हू करती है।।"
✍️- Vishaal "Shashwat..."-
"उदास-उदास सी हुई ज़िन्दगी... उदास-उदास सा ये मन हुआ ।
मैं तर-ब-तर हो गया मुक़म्मल... जब अश्क़ों ने ये तन छुआ ।।
शागिर्द-ए-ग़म बना हर लम्हा, मैं इक लम्हा सुकूँ का तलाशूं कैसे,
कि- है वाज़िब अब.. कहना तेरा, लो "शाश्वत.." ब-कफ़न हुआ ।।"
✍️- Vishaal "Shashwat..."-
"मेरे मुक़म्मल मिट जाने से भी किसी को कहाँ कोई ग़म होगा ।
इक मेरे ना होने से इस ख़ुश-बख़्त महफ़िल में क्या कम होगा ।।
यास-ए-रूह ने समेटा कुछ यूँ, उसका ही हो रह गया "शाश्वत..."
कि- अब तन्हा सी हर शाम और सिसकियों का सरगम होगा ।।"
✍️- Vishaal "Shashwat..."-
"कभी हमसे भी कुछ कहते, कभी हमारा भी तुम हाल पूछते ।
ज़िन्दा हो तुम आख़िर कैसे.. कैसा गुजरा बीता साल पूछते ।।
पर तुम तो बिसरा बैठे मुक़म्मल, मिन्नत क्या करे "शाश्वत.."
हाँ..ख़ुश-बख़्त हो जाते हम,जो तुम"कैसे हो विशाल" पूछते ।।"
✍️- Vishaal "Shashwat..."-
"लो... थम ही गया दौर-ए-मुबारक़... हमें तो ये साल भी पुराना मिला ।
सुकूँ की जुस्तुज़ू क्या ही करें, हर दर्द यहाँ भी जाना-पहचाना मिला ।।
नहीं करता शिकायत बीते साल से, ना उम्मीद इस साल से "शाश्वत.."
कि- क़फ़न में लिपटती ज़िन्दगी को कहाँ ही कभी ये ज़माना मिला ।।"
✍️- Vishaal "Shashwat..."-
"ना जाने कितने तूफ़ान समेट कर ख़ुद में जीता रहा वो साहिब...
आज यूँ गले से मौत को लगा लेना, आसान तो नहीं रहा होगा ।।"
✍️- Vishaal "Shashwat..."-
"इक कोशिश तो करो अब तुम भी... इस दिल की बेक़रारी के ख़ात्मे की..
तुम बिन गुजरे तो गुजरे.. तुम्हारी यादों बिन कहाँ कोई लम्हा गुजरता है ।।"
✍️- Vishaal "Shashwat..."-