जब जज़्बा हो कर दिखाने का
अपनी हिम्मत पहचानो तुम
वक्त है अपने दौर को लाने का
निराशा को दूर भगाओ तुम
तत्पर उठ खड़े हो जाओ तुम
डिगो नही अपनी राहों से
अग्निपथ पार कर जाओ तुम
संसार नही कुछ बोलेगा
भूतकाल को नही टटोलेगा
करो स्वयं अपना पथ प्रशस्त
उद्घोष करे यह जग समस्त-
यादों की बारात, आज रात चली आई
वो ना रही तो उनकी याद चली आई,
वीरान सी लगती है महफिल भी आज
याद आती है वो और उनकी प्यारी आवाज
उनका हाथ तो आज भी है हमारे ऊपर
दिखता नहीं, पर महसूस होता है सर पर
दूर कहीं सितारों में छुप कर चली आई
यादों की बारात, आज रात चली आई
इस दिन का जिनको रहता था इंतजार
वो दिन तो आया लेकिन वो बात नही आई
न वो मुस्कान ही दिखाई दी, ना आवाज सुनाई
यादों को बारात, आज रात चली आई
जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।
Love from Maa
#loveyoumaa
-
कलम की दुनिया से...
एक रात एक ख्वाब देखा
जिसमे दिखी एक किरण
वो रश्मि बिखेरती ऐसी थी
जैसे वन में सुनहरा हिरण
क्या कयामत क्या कला
वो बलखाती सी बला
एक नज़र बिखेर दे जिधर
उधर मच जाए शोर-ए-समंदर
इस साल, नई शुरुवात में
ना कोई गिला, ना ही विरह
हार्दिक बधाई हो
आपको ये सालगिरह-
कलम की दुनिया से...
एक रात एक ख्वाब देखा
जिसमे दिखी एक किरण
वो रश्मि बिखेरती ऐसी थी
जैसे वन में सुनहरा हिरण
क्या कयामत क्या कला
वो बलखाती सी बला
एक नज़र बिखेर दे जिधर
उधर मच जाए शोर-ए-समंदर
इस साल, नई शुरुवात में
ना कोई गिला, ना ही विरह
हार्दिक बधाई हो
आपको ये सालगिरह-
ठहर के तो देख, ये समा भी ठहर जाएगा।
ज़रा हाथ तो बढ़ा, मेरा हाथ भी आगे आएगा।।
ना जाने किस कश्मकश में,
उलझता जा रहा हूं।
आगे रास्ता साफ़ तो नहीं पर,
आगे बढ़ता जा रहा हूं।।
हारती है हिम्मत तो,
हमसफर खुद बन जाता हूं।
अंजान सी राहों पे,
बस चलता जाता हूं।।
समझाता हूं खुद को,
इस बार थोड़ा और कड़ाई करें।
चल जल्दी से तैयार हो जा,
एक बार फिर किस्मत से लड़ाई करें।।-
थी जब भी वो दर्द में नारी
अधरों से नहीं निकली वाणी
सहती चुप चाप अंदर अंदर
मन के उद्गार में ना कोई स्वर
कोई तो समझे उसका मन
क्या क्या सहता उसका तन
एक मैं ही तो हूं उसका रत्न
छुपाने का कर रही प्रयत्न
मन के भीतर दीपक उसका
बिना वेग के बुझ रहा है
ना ना कहती दूसरों को तो
तन मन खुद से जूझ रहा है
कब तक देखूं ऐसे उसको
अधरों पे कोई बात तो आए
मन के भीतर लड़ रही जंग
जंग में साथी साथ तो आए
पीड़ा में छोड़ अकेला उसको
जो था साथी काम ना आए
धिक्कार है ऐसे साथी पर को
अगर ना नारी मान बचाए
-
नाराज़ है वो मुझसे, बहुत ज़्यादा
होती भी क्यों ना, दिल जो टूटा है।
दिल नहीं, बाग है वो,
जो देखभाल ना होने के कारण सूखा जा रहा है।
उसका माली कोशिश कर रहा है कि वो बाग फिर से हरा भरा हो जाए
बस, बसंत की प्रतीक्षा है।
और सर्दी के बाद बसंत आएगा
मुझे आशा है, कि बसंत ज़रूर आएगा।-
एक सपना - एक चाहत
सिर्फ तुमसे है ये राहत
ना होते तुम, ना पास आते तुम
तो कैसे मिलती तुम्हारी आहट
ये चाहने का सिलसिला
मोहब्बत का फलसफा (ज्ञान)
तुमसे ही तो सीखा
कैसी करिश्मा हो तुम
कैसी क़यामत
तेरे बिन लगे सब कुछ फ़ीका
ना हुआ करो नाराज़ हमसे
ना ही कभी खफा
जो कोई भी हो शिकवा हमसे
हटा सबकुछ, कर लो वफ़ा-
लिख रहा हूं दोस्ती के दिन
एक दोस्त को, दोस्ती का पैगाम
कोई पूछे - कौन है तेरा?
तो लेना बस मेरा नाम
कभी ना लगे मन तो
करना बस एक काम
पढ़ लेना ये दोस्त का लिखा हुआ
दोस्ती का पैगाम
जब कभी मिलूं तुमको
तो ज़ोर से कहना ।। जय सिया राम ।।
मैं भी पूछूंगा तुमसे
कैसा चल रहा है तुम्हारा काम?
तुम सुनाना मुझे अपना दिन
मैं भी सुनाऊंगा तुम्हे अपनी शाम
फिर साथ में बैठ कहीं किनारे
लगाएंगे ठहाके,
जो होंगे हम दोनों के नाम
कभी आएं आंख भर कुछ भी सोच
तो टटोलना ये पैगाम
इसलिए लिख रहा हूं तुमको मैं
ये दोस्ती का पैगाम-
तेरा चेहरा कितना प्यारा लगता है
जैसे समुद्र का किनारा लगता है
समुद्र की गहराई में छुपी एक मोती हो तुम
ढूंढ लिया मैंने, वो मोती अब हमारा लगता है
पिरो उस मोती को, एक धागे में ऐसे मैं
कि वो धागा जैसे रिश्ता हमारा लगता है
देखूं जब जब मोती को मुस्कुरा कर मैं
वो जैसे हंसता चेहरा तुम्हारा लगता है
तेरा चेहरा कितना प्यारा लगता है
जैसे समुद्र का किनारा लगता है-