पांव थकने लग गए,
अब आसान रास्तो पर..
सफर में पैदा थोड़ी,
अब परेशानी भी करनी है..
- Adarsh_Gaurav🖊️
आपकी इन दुआओं को,बेकार जाने दे कैसे..
पाप की गठरी थोड़ी,अब भारी भी करनी है..
खुद से ही आखिर कब तक,
होना फरार मुझेको..
खुद अपने आपकी,
अब गिरफ्तारी भी करनी है..
छुपाता हु जो दुख,अपनी मुस्कुराती होठों से..
बया उन्हीं होठों से,अब लाचारी भी करनी है..
है काम हजारो करने को,
और मोहलत चार दिन की..
हमें जीते जी,
अब मरने की तैयारी भी करनी है..
सब से मिलकर रहने की, रिवाजों से बचना है,
हर एक से मिलने जुलने की, अब अदाकारी भी करनी है..-
ऐसी भी क्या आग लगायी थी मैंने,
जब तेरी तस्वीर बनायी थी मैंने..
वो कहानी पढ़कर मैं अब हँसता हूँ,
तुम्हें रो-रोकर जो सुनायी थी मैंने..
समंदर में कागज़ की नाव उतारी थी मैंने,
नादानी में अपनी जान गवाई थी मैंने..-
तुम आसमां से हो और मैं जमीन का हूं..
तुम्हें जमीन पर मन लगेगा,मुझे नहीं लगता...
प्यार में तुम आसमां के चांद तारे चाहती हो..
और मैं उसे तोड़ कर लाऊं,मुझे नहीं लगता...
बात-बात हर बात में झगड़ा करती हो..
करो पर ऐसा चलेगा,मुझे नहीं लगता...
तुम्हारे इस सुंदरता पर बहुत लोग मरते हैं..
और हमेशा मरते ही रहेंगे,मुझे नहीं लगता...
तुम रेत के महल बना रही हो,बनाओ..
पर क्या ये टिकेगा,मुझे नहीं लगता...
तुम्हें इस जहां में लाखों चाहने वाले हैं..
मेरे प्यार से मन भरेगा,मुझे नहीं लगता...
एक राजकुमारी को भिखारी से प्यार हो गया..
क्या सच में ऐसा हुआ होगा,मुझे नहीं लगता...-
मेरी सादगी से अगर इश्क कर पाओ,तो बताना..
क्योंकि चेहरा मेरा इतना भी खूबसूरत नहीं है...
मेरे साथ दो वक्त की रोटी इज्जत से खा पाव,तो बताना..
क्योंकि चांद सितारे लाना मेरे बस की बात नहीं है...
बाहों में सोना और सब दिन हंसना हो,तो बताना..
क्योंकि मैं किसी का दिल दुखाऊ ये बात मुझमे नहीं है...
-
यूं खामोश रहकर खुद को और मुझे सजा न दो..
कहो कुछ भी- की अब कहना ज़रूरी हो गया...
इन चार दीवारों में घुट-घुट के मरना जिंदगी नहीं..
कभी मुसाफिर से मिलो भी- की अब मिलना जरूरी होगा...
जिंदगी से जुदा हो गई की मर ही गई हो..
लिखो कुछ भी- की अब लिखना ज़रूरी हो गया...
न जाने कितने ही ख्वाब पेश-ए-नज़र में तुम्हारे...
नींद से जागो भी- की अब जागना जरूरी हो गया है...
-Adarsh Gaurav कब तलक ऐसे यू अपने जहन में सिमटे रहोगी तुम..
फूल सा खिलों भी- की अब खिलना जरूरी हो गया...
गहरे समुद्र में तजुर्बा नहीं तुम्हें गहराई का...
किनारे से बहो भी- की अब बहना जरूरी हो गया...
फिर से चलो भी- की अब चलना जरूरी हो गया..
मुझसे मिलो भी- कि अब मिलना जरूरी हो गया...-
मेरी कहानी में कुछ किरदार नहीं होते..
तो ये पन्ने इस तरह आबाद नहीं होते...
उस कील पर बस तारीखें ही तो टंगी हैं..
गरीबों के कैलेंडरों में त्योहार नहीं होते...
इमारतें बनती बिगड़ती, हर रोज़ यहा..
मज़दूरों के दफ्तरों में इतवार नहीं होते...
वो बस आँखें मिलाए तो ले ले जान..
कत्ल को ज़रूरी हथियार नहीं होते...
जो दिल में हो वो जुबां से कह देते हैं..
बच्चे हम जैसे होशियार नहीं होते...
जो ज़माने भर से छुपाते हैं अपने जुर्म..
वो आइनों में क्यों गिरफ्तार नहीं होते...
चॉक्लेट,तेल,साबुन और सिंगार..
अब अख़बार मे समाचार नहीं होते...
वो आँखों से कहे तब यकीं करना..
मोहोब्बत में होठों से इनकार नहीं होते...-
मैं रात देर चांद से बातें करता हूं,
वो मुझे सूरज के बारे में बताता है..
और मैं उससे तुम्हारे बारे बताता हूं...
और मिलकर सुबह का इंतजार करते हैं,
हालाकि मिलता वो भी नहीं और मैं भी..-
कहीं-कहीं से हर चेहरा तुम जैसा लगता है,
तुमको भुल ना पाएँगे हमको ऐसा लगता है..
ऐसा भी एक रंग है, जो करता है बाते भी,
जो भी इसको पहन ले, वो अपना सा लगता है..
तुमको भूल ना पायेंगे हमको ऐसा लगता है...
और तो सब कुछ ठीक है लेकिन,
कभी-कभी यूँ ही चलता शहर अचानक तनहा लगता है..
तुमको भुल ना पाएँगे हमको ऐसा लगता है...-
मैं थोड़ा फिसला तो लुढ़कते चला गया,
मुझे पता नहीं था कि यहां इतना ढलान है..
-Adarsh_Gaurav
वे सब कर रहे इश्क पर संजीदा गुफ़्तगू,
मैं क्या बताऊं मेरा तो कहीं और ध्यान है..
अंदर कुछ नहीं है सब फटेहाल है मगर,
झुलसे दिल में तेरी बातों की किताब है..
वो लड़की नहीं पर एक मुकम्मल बयान है,
दिल पर उसके चोट का गहरा निशान है..
उस सिरफिरे को नहीं बदल सकेंगे आप,
वो लड़की तो नहीं "राज" पर बहुत सावधान है..
देखे हैं हमने दौर कई अब खबर नहीं,
पांव तले जमीन है या जलता पाताल है...-
भटकती रह गई एक रात मेरी..
तुम्हारे बाजूओ में सो ना पायी...
बहुत कुछ होता है दुनिया में लेकिन..
यही एक चीज थी जो हो ना पायी...-