वास्तव में जीवन बस उतना ही था दोस्त जितना,
तुम्हारे हाथों से छूटकर मेरे हाथों में रह गया।-
जब कभी अकेलापन खाने लगे तुम्हें, 🙂
तब अपने सपनों की आवाजों को सुनना तुम।😍
वास्तव में जीवन बस उतना ही था दोस्त जितना,
तुम्हारे हाथों से छूटकर मेरे हाथों में रह गया।-
तुम्हारी तस्वीरें कुछ इस तरह सम्भाली गयी हैं,
जैसे लड़कियाँ सम्भालती हैं अपना दुपट्टा सोलहवें वसन्त के बाद।-
हम आसमान में अपना हिस्सा तलाशते हैं,
मग़र जिंदा उसी पर हैं जो ये धरती हमें देती है।-
फूलों पर चलकर फौलाद बन जाएगा,
इश्क़ में वतन के वो कुर्बान हो जाएगा,
तुम देते रहना भाषण जिंदगी भर साहेब,
मरने पर तिरंगा बस उसी के हिस्से आएगा।
-
आहिस्ता-आहिस्ता आओ ख़्वाबों में भी,
ग़र नींद टूटी तो ख़्वाब भी टूट जायेगा।-
बस रोटियाँ ही बासी नही होती जनाब,
अख़बार भी बासी हो जाया करते हैं।-