कहाँ जिंदगी...
कहाँ हमसफर
कहाँ हम हैं-
मैं अल्फ़ाज़ नहीं अहसास लिखती हूँ
I will not force you to follo... read more
बारिशें कर रहीं हैं इज़हार....के तुम आओगे
ये आँखे कर रहीं हैं इंतजार ...के तुम आओगे
प्यार होता है क्या...भला कौन जाने
हाँ मगर...
धड़कने बढ़ रहीं हैं बेशुमार....के तुम आओगे-
मकाम मेरी मोहब्बत अब कहाँ पाएगी
सागर किनारे बने रेत के घर जैसे
एक झटके में बिखर जाएगी।।-
Uns..Ulfat...Ya mohabbat .....
Jo bhi kiya tha tumse beshumaar kiya tha-
मेरी ताबीर में रहने वाला....
मेरी तकदीर में कहां हासिल है
मेरे सवालों में बसने वाला....
मेरी तदबीर में कहां शामिल है-
आहिस्ता आहिस्ता जिंदगी में आने वाले
कभी-कभी बड़ी रफ़्तार से गुजर जाते हैं।-
न जाने क्यों लोग टूटते हुए तारों से अपनी ख्वाहिशें मांगते हैं...
जो खुद टूट कर बिखर रहा हो
वो भला दूसरों की ख्वाहिशें क्या पूरी करेगा ...-
रुक्मणी जी कृष्ण जी की नियति थी और राधा ...
राधा रानी ....उनकी ख्वाहिश
वो कृष्ण नहीं है.... और ना मैं राधा
हाँ मगर एक बात सच है!
उसके सामने उसकी नियति है
और उसके साथ उसकी ख्वाहिश
नियति एक दिन उसे अपनी ओर खींचेगी और वो जाएगा
लेकिन सच ये भी है कि कृष्ण के साथ... नाम तो बस राधा का ही आएगा...
रुक्मणी संग विवाह हुआ ..पर राधा प्रेम अमोल ।।
इसीलिए तो कृष्ण कहें हैं...राधा राधा बोल ।।-