वक़्त
वक़्त एक सज़ा भी है,
और एक मरहम भी ।।
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Humaira Khan
(حمیرا خان 🍁)
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में नही , मेरे जज्बात लिखते है ❤️
Joined 22 May 2018
21 APR 2020 AT 0:47
Zubaan pe aksar taale or nazron mein bht saari kahaniyaan rakhti hun main..
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16 APR 2020 AT 20:42
साथ हँसने के लिए तो हजा़र लोग हैं,
जिसके कंधे पर सर रख़ कर रो सके, वो चाहिए ❤-
10 APR 2020 AT 20:09
के वो मेरे नसीब में है भी या नहीं?
ख़ुदा से पूछना है,
के जेसे मैं उस के लिए बे करार हूँ,
क्या वो भी मेरे लिए बे करार है?-