लिखना तो बस बहाना हैं
हमें तो रूह में खो जाना हैं
मिलना बिछड़ जाना तो फिल्मों के किस्से हैं
जहां इंटरवेल के बाद बदल जाता जमाना हैं
आपका कुछ अलग अंदाज हैं
बयां कर पाउ ऐसे कहाँ मेरे जज्बात हैं
फिर भी कलम चल पड़ती हैं दिल का हाल बताने को
तुम थाम लेना खिड़की को जरा
मौसम जो बारिश का हैं...
कहीं पन्ने भीग न जाए ,
मौसम आशिकाना हैं !-
हमारे चले जाने के बाद !
Challenges seems like they are breaking you. However, in truth, they are making you into the most limitless and versatile version of yourself.
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पहाड़ अपनी उदासियां बहा देते हैं नदियों में
कोई जान नहीं पाता और समंदर खारे हो जाते हैं !-
भाषा के माथे की बिंदी
शब्दों की भाव भंगिमा इठलाती चलती जाती हैं
हृदय खोल लिखने वाले कवियों की जान बन जाती हैं
प्रेम विषय हो या हो प्रश्नोत्तर
हिंदी सब कुछ सिखलाती हैं
है देश हमारा और भाषा भी
मातृ तभी कहलाती हैं
भाषा के माथे की बिंदी _
हमारी मातृ भाषा हिंदी ❣️-
अगर आप काश्मीर से कन्याकुमारी तक घूम चुके पर झलड़ेश्वर महादेव गोलीटुक के धोक नही दी तो आपका सम्पूर्ण भारत भ्रमण अधूरा हैं ! श्री झलड़ेश्वर महादेव की जाग्रत धरती , 5 पहाड़ो के ऊपर स्वर्ग सी आभा 🚩
आनंद _आनंद _आनंद❣️🚩-
यहाँ सब थके हारे ज़िंदगानी से , अकेले ...
नकली मुस्कान ओर खिलखिलाते चेहरे का नक़ाब लिए.... जो दिल मे हैं बाहर लाये तो बवाल न लाये तो मलाल ...
अगर मगर काश ....
कुछ न कुछ सबका रह जाता हैं बाकी !
हाथ थाम लेती हैं अक्सर और देती हैं पूरा साथ _साकी !-
नींद अक्सर नही आती हैं
सपने पूरे हो या कुछ रहे अधूरे
इसी आपाधापी में आंखे लिए इक बोझ
कभी कभी सुस्ता न पाती हैं
पर हारा नही ये मन ना ही मस्तिष्क
रुकने पे पाबंदी अब हमने जो लगाई हैं
लक्ष्य भी रहेंगे दूर कब तलक
आगाज़-ऐ-राठौड़ जारी हैं
ये ज़माना अलग हैं साहेब
हमारी कलम हर तलवार पे भारी हैं !-
रिश्ते जताने लोग मेरे घर भी आयेंगे,
फल आये है तो पेड़ पे पत्थर भी आयेंगे..
जब चल पड़े हो सफ़र को तो फिर हौसला रखो,
सहरा कहीं, कहीं पे समंदर भी आयेंगे..
कितना गरूर था उसे अपनी उड़ान पर,
उसको ख़बर न थी कि मेरे पर् भी आयेंगे..
मशहूर हो गया हूँ तो ज़ाहिर है दोस्तो,
इलज़ाम सौ तरह के मेरे सर भी आयेंगे..
थोड़ा सा अपनी चाल बदल कर चलो ,
सीधे चले तो पीठ में खंज़र भी आयेंगे...!!-
नहीं बिकता हूँ मैं बाज़ार की मैली नुमाइश में
ज़माने में मुझे तो बस मेरे हक़दार पढ़ते हैं !-
जिसकी फितरत थी बगावत करना , तुमने उस दिल पे हुकूमत की हैं !
हुकूमत तेरी ही रहेगी सदा , इतनी हमने भी मुहब्बत की हैं !!!-