Hrushikesh Chavan  
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Joined 22 July 2023


Joined 22 July 2023
1 MAY AT 2:12

अभी तो समा बाकी है, अभी बाकी है पूरी बात
अभी ये अफ़साना क्या ही बताए, बाकी है पूरी रात

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6 MAR AT 19:04

हो जय पराजय से अछुत तुम,
कर्तव्य के गंतव्य से विभूत तुम।
ना हो ये संघर्षों से विचलित तुम,
सामर्थ्य है तुममें, क्यों ऐसे रिक्त तुम।
पथ पे चलते रहो, अणु जैसे सुप्त तुम।

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21 NOV 2023 AT 21:33

सत्य से क्यों भयभीत तू,
ना कोई ये अंत है,
ना कोई ये शुरुआत है,
हार से परे तू एक रचित है।

है सबके मन की प्रीत तू,
हौसलों को कर बुलंद तू,
है भविष्य की जीत तू।
- ऋषिकेश चव्हाण

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11 OCT 2023 AT 22:41

मैं तुम में हूँ,
एक आबाद सा,
मुझ मैं तुम,
बग़ैर तेरे एक बर्बाद सा

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9 OCT 2023 AT 23:14

हम ही हैं मयस्सर,
हम ही हैं मुंतजिर,
फिर भी मुक्कमल नहीं।

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5 OCT 2023 AT 23:58

रणभूमि हो या जीवन,
आदि हो या अंत,
है शून्य से ही शुरुआत
और शून्य पर ही अंत।

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5 OCT 2023 AT 20:47

इश्क़ हो या जीवन,
आदि हो या अंत,
है शून्य से ही शुरुआत
और शून्य पे ही अंत।

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2 OCT 2023 AT 0:15

उसका हमसे क्या बिछड़ना इतना जरुरी था,
पता नहीं क्या सच में कोई मजबूरी थी।
ये दिलों की डोर क्यों अधूरी थी,
पर फाँसले इतने थे कि तन्हाई बगैर तेरे पूरी थी।

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1 OCT 2023 AT 21:43

शहर के गली-नुक्कड़ पर रास्ते तो बहुत हैं,
पर बताए हुए रास्ते पर कोई चलना नहीं चाहता। शहरों ने बहुत तरक्की की, पर गाँव को भूल गए, नोटों पे तस्वीर छापी, पर ईमान भूल गए।
पुतलों को हार खूब पहनाए, पर इंसानियत भूल गए।

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1 OCT 2023 AT 21:17

चाँद तो रात की रुखसत है,
सूरज तो दिन की जरूरत है,
और आप तो दिल की मरम्मत हो।

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