हृतेश शर्मा   (ऋतेश शर्मा)
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Joined 26 May 2018


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Joined 26 May 2018

शुभ होलिकोत्सव की अनंत शुभकामनाएं..
आप स्वस्थ रहे..
हमेशा मुस्कुराते रहे..
शुभेच्छाओं के साथ..

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🌼 हर हर महादेव..🔱
भोलेनाथ की कृपा हम पर बनी रहे..🙏🏻
"शुभ महाशिवरात्रि" की शुभेच्छाएँ..📿❤️
🔱 हर हर महादेव.. 🚩💞

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कैसी-कैसी,
कोरी कल्पनाओं की सिलवटें,
तुमने मोड़ रखी है,
जहाँ-तहाँ,
विदित होती वरन,
गढ़ी क्यों नही जाती..!
अक्सर,
समय के विक्षोभ पर,
विलीन हो जाती है...!

मैं मनोविद तो नही,
जो तुम्हें उकेर कर,
अलंकृत कर दूँ...।।

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मैं,
विचारों में,
समय की परिपाटी में,
भूत से वर्तमान के काल खंड में,
अनागत क्रमचय के काल चक्र से,
स्वतंत्र हूँ,
विस्तृत हृदय में,
सशक्त प्रेम की संक्षिप्त गजमुक्ता,
और दीप्ति होती मरीचिका,
मुझे मेरे ही चक्रव्यूह से,
मन "मुक्त" नही होने देती..
जैसे,
"दीपक"
स्वंय के प्रतिबिंब से,
मोक्ष की कामना में,
स्वतंत्रता से जलता है..।।

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वह एक "लम्हा",
जो सदैव आपके साथ "विश्राम" करता है..,

वह ही,
सिर्फ वह ही,आपका सदैव "ध्यान" रखता है..।।

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हवाओं में "इत्र" की महक महसूस कीजिये,
गर जिंदा है,तो "ज़िंदादिली" क़बूल कीजिये..।।

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तुम्हारी सारी कोट्स,
एक एक करके,
मेरे मस्तक का "तिलक"
गढ़ती रही..,
और मैं,
तुम्हारी खोज में,
उन्हें बार बार,
पढता रहा..।।

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सयोंग नही,
वियोग की कसौठी पर,
तपने के बाद ही,
"प्रेम" खरा बनता है..।।

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मैं काल खंड की,
प्रत्यक्ष दर्शिका हूँ,
अतीत से,
वार्तालाप के बीच,
भावी काल का
सेतु हूँ..।।
मैं समय की "परिपाटी" हूँ..।।
मैं "देहरी" हूँ ..।।

(पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़ें)

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चित्त की सारी,
पंखुड़ियाँ,
उन्मुग्ध_हो,
बिख़र जाती है..,
जब चाँदनी के बग़ीचे में,
बैठा चाँद,
और,
एक "प्याली में इंतज़ार" की,
घटती_घड़ी,
मिलन_की,
सतरंगी शाला में,
गोतें लगती है ..।।

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