मुम्किन है इश्क में दुनियां से बेज़ार हो जाना
बुझी प्यास का फिर से सावन मास हो जाना !!
-
#Passionateराइटर
#हरminder
#coauthor
मुम्किन है इश्क में दुनियां से बेज़ार हो जाना
बुझी प्यास का फिर से सावन मास हो जाना !!
-
दीवारे सुन लेती हैं तमाम बातें
जो हम उसके दायरे में करते हैं
बेशक बोलती नहीं हर किसी से
मगर सन्नाटों में अक्सर गूंजती हैं !-
मुझे अब भी याद है
मेरा वो खुलकर हँसना
और
तुम्हारा ख़ामोशी से मुझे पढ़ लेना !-
माना बहुत कठिन है किसी की तरह बन पाना
मगर जैसे हो वैसे भी तो कोई स्वीकार नहीं करता !-
औरत को ठहराव चाहिए
पुरुष को बहाव चाहिए
दोनो पूरक इक दूजे के
तब भी बदलाव चाहिए !-
लगाव घाव देता है
और घाव दर्द देता है
दर्द में फिर लगाव पनपता है
और ये सिलसिला लगातार चलता है !-
चुभती नहीं बेड़ियां
ना चुभ रहीं बद्दुआएं
असर उसका हो रहा
जिसकी हैं ये लीलाएं !-