अल्फाजों से भी आंसू गिरते जा रहे थे
वो हमको देखकर भी, हमको दफन करते जा रहे थे
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उनकी मोहब्बत का असर उनके नवाज़े मे था
किश्ते हमने भी चुकाई है उनके जनाजो के लिए।-
हम उस अधूरी मोहब्बत के किस्से है
जहाँ हमको भी किसी ने मोहब्बत दी है-
गमों को नशे में घोलकर
नशे की चादर ओढ़कर
पीता नहीं हूं कुछ सोचकर
बस यही हूं मै-
डर मौत का था इसलिए ज़िंदा रहा
डर हैवानियत का होता तो कब का मर गया होता-
मिलता भी रहता हूं कही तो अपनों से
भुलाया नहीं किसी ने इसलिए
खो भी गया हूं कही तो अपनों से
मुसाफिर भी रास्ता चुनते है अपनी परछाई साथ लेकर
हम तो काफिर है
हम चलते भी है अपनी परछाई छोड़कर-
क्या भरोसा था इस ज़िन्दगी का
गम भी उठा ना सका अपनी ही ज़िन्दगी का
मुकद्दर भी दामन छुडा कर चला जा रहा
क्या इंतखाब बचा था इस ज़िन्दगी का
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उनके जानाजो की शिफा उनके अल्तमस से उपर होंगी
बे अदब जानजो का दफन भी दुआ - ए- शिफा ही होंगी-
आज हमने उनसे फिर से मोहब्बत करी है
उनके नाम की एक और रात तस्लीम करी है
पर चांद वैसे ही निकला था अपना लिबास ओढ़कर
जैसे ये भी खबर चांद को उन्होंने ही करी है-
जिस्म की भूख का असर तो कफ़न मे भी नही था
चाहते तो हम भी थे उनका इंतखाब बनना
मिसाले भी मिलती जा रही थी हमको किसी और की पर उन्होंने हमें ही अपना कफ़न बनाना शुरू कर दिया-